Ideal time to poop: हर इंसान को शौच जाना पड़ता है, लेकिन इस काम में लगने वाला समय आपकी पाचन शक्ति और सेहत के बारे में बहुत कुछ बता देता है. यह सिर्फ एक रूटीन नहीं बल्कि शरीर की लय, संतुलन और छिपे हुए संकेतों से जुड़ा हुआ मामला है. गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट अक्सर शौच में लगने वाले समय को पाचन स्वास्थ्य का एक छोटा लेकिन अहम पैमाना मानते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि कितने मिनट से ज्यादा शौचालय में टिकना सेहत के लिए खतरे की घंटी हो सकता है. 

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न बहुत जल्दी, न बहुत देर

एशियन हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और एचओडी डॉ. अमित मिगलानी ने TOI को बताया कि, शौच का आदर्श समय कुछ मिनट होना चाहिए और यह 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति एक मिनट से भी कम समय में खत्म कर लेता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि भोजन पूरी तरह से पच नहीं पा रहा है. वहीं, अगर 15 से  20 मिनट तक बैठकर जोर लगाना पड़े तो यह कब्ज का संकेत है, यानी आंतें शरीर में से विषैले पदार्थ को सही तरह से बाहर निकालने में संघर्ष कर रही हैं.

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देर तक बैठे रहने से बढ़ सकता है खतरा

शौचालय पर लंबे समय तक बैठे रहना गुदा की नसों पर दबाव डालता है, जिससे असहजता या बवासीर जैसी समस्या हो सकती है. आजकल लोग फोन पर स्क्रॉल करते-करते या पढ़ते हुए इंतजार करते हैं, जबकि ऐसा करना आदत और पोस्चर दोनों के लिए हानिकारक है. सही तरीका यही है कि तभी बैठें जब शरीर खुद संकेत दे और फालतू समय न बिताएं.

शरीर की घड़ी और शौच का समय

हमारा डाइजेशन सिस्टम एक नेचुरल लय पर चलता है. अधिकांश लोगों को सुबह उठने के 30 मिनट के भीतर या भोजन करने के बाद शौच की इच्छा होती है. इसे गैस्ट्रोकॉलिक रिफ्लेक्स कहा जाता है. अगर बार-बार इस संकेत को नज़रअंदाज किया जाए तो यह रिफ्लेक्स कमजोर पड़ सकता है, जिससे शौच अनियमित और कठिन हो जाता है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि नियमितता का मतलब रोज़ाना कितनी बार जाना नहीं, बल्कि कितनी आसानी और आराम से जाना है. कोई व्यक्ति रोज एक बार जाता है, कोई हर दूसरे दिन  दोनों ही ठीक हैं, बशर्ते स्टूल नरम, आसानी से निकलने वाला हो और समय ज्यादा न लगे.

 आदतें, जो आपकी मदद करती हैं

  • दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि मल मुलायम रहे.
  • फाइबर से भरपूर भोजन करें जैसे फल, सब्जियां, ओट्स और दालें.
  • एक तय समय पर शौच की आदत डालें, खासकर खाने के बाद.
  • टॉयलेट में बैठते समय पैरों को थोड़ा ऊंचा करने के लिए स्टूल का इस्तेमाल करें, इससे आंतें सीधी हो जाती हैं और मल आसानी से निकलता है.
  • तनाव को कम करें, क्योंकि दिमाग और आंत का सीधा कनेक्शन है जो पाचन को प्रभावित करता है.

कब लें डॉक्टर की सलाह?

अगर शौचालय में नियमित रूप से 10 मिनट से ज्यादा समय लग रहा है, या दर्द, खून और ज्यादा जोर लगाने की समस्या हो रही है, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.