Health Tips: अगर किसी को शक करने की आदत है तो इससे उसका मन हमेशा अशांत ही रहेगा. यह एक नकारात्मक मनोवृति है, जिससे छुटकारा पाना बेहद ज़रूरी है. आप हर किसी पर भरोसा नहीं कर सकते लेकिन जब कोई अपने करीबी पर ही शक करना शुरू कर दे तो यह स्थिति उसके लिए ठीक नहीं है. समय रहते अगर इस मानसिक बदलाव को रोका नहीं जाए तो यह आदत आगे चलकर रिश्तों या अपने करीबियों के साथ तनाव पैदा कर सकती है. इसलिए जहां तक संभव हो सके इस आदत को तुरंत बदल लेना ज़रूरी है.


ऐसा क्यों होता है
व्यक्तित्व का विकास बचपन से ही किया जाता है. इसको संवारने या बिगाड़ने में परवरिश का बहुत बड़ा योगदान होता है. यदि माता-पिता ही शक्की स्वभाव के हों या वे अपने बच्चे को एक सुरक्षित माहौल ना दे पाए हों तो इन कारणों से उस व्यक्ति के मन में शक की भावना घर कर लेती है. अगर इस समस्या को समय पर नहीं रोका जाए तो यह आगे चलकर गंभीर हो सकती है. बता दें कि, आगे चलकर इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति पैरानॉइड स्क्रिोज़ोफेनिया या डिल्यूज़न डिसऑर्डर, इन दोनों में से किसी भी बीमारी का शिकार हो सकत है. यह दोनों समस्याएं मानसिक मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं.


शक के लक्षण
- किसी के भी साथ रिलेशंस अच्छे ना होना
- अपने करीबी लोगों पर विश्वास न करना
- हमेशा उदास और अकेले रहना
- दिमाग में केवल यही चलना कि मेरे साथ ठगी या धोखाधड़ी हो सकती है
- अपने साथ काम करने वाले लोगों को शक की नज़र से देखना.


शक की बीमारी से बचाव
- अगर आपको पता है कि आपको शक करने की आदत है तो उसे दूर करने की खुद कोशिश करें. इसके लिए आप उस अनुभव को याद करें, जिससे कभी आपके विश्वास को ठेस पहुंची हो और आपको लगा हो कि इस घटना के बाद से मैं इस समस्या का शिकार हुआ या हुई हूं. जैसे ही आप इस समस्या की जड़ ढूंढ लेंगे वैसे ही आप खुद को इससे बचा भी सकते हैं.
- सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले लोगों से संपर्क बढ़ाएं और उनकी अच्छी बातों से अपने अंदर बदलाव लाने की कोशिश करें.
- हमेशा याद रखें कि भरोसा करने वाला गलत नहीं होता बल्कि धोखा देने वाला गलत होता है. अगर आपको लगता है कि सामने वाले ने आपको धोखा दिया है तो अपने मन में ग्लानि की भावना ने आने दें.
- अगर किसी व्यक्ति को देखकर आपके मन में शक है तो उस शख्स से बातचीत करके अपनी गलतफहमी को दूर करें.
- एक बुरी घटना के चलते टूटे भरोसे का प्रभाव अपने भविष्य में बनने वाले रिश्तों पर ना आने दें. दूसरों को भी मौका दें.
- अगर इन प्रयासों के बावजूद भी आपको लगे कि आप में कोई बदलाव नहीं आ रहा है तो आप किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार की मदद भी ले सकते हैं. इसके लिए संकोच ना करें.


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