केंद्र सरकार के 'नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल' के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 3 सालों में डेंगू के 5.20 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं. जिसमें से 740 लोगों की मौतें हुईं है. भारतीय रिसर्च की एक नए स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि डेंगू किसी व्यक्ति को पहली बार काटने या दूसरी बार यह हमेशा घातक ही होता है. अगर इसका वक्त रहते इलाज नहीं किया गया तो यह जिंदगी को भी मुश्किल में डाल सकती है. 


सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी


नई अंतर्दृष्टि दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) जैसे संस्थानों के शोधकर्ताओं ने एक सफल कारनामा दिखाया है. नई दिल्ली के 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान' (एम्स) क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर और एमोरी विश्वविद्यालय, अटलांटा, अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में दूसरों के बीच में नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई है. शोध में तीन अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 619 बच्चों का अध्ययन शामिल किया गया था. यह पाया गया कि जब पहली बार डेंगू का मच्छर काटता है तो डेंगू के इंफेक्शन (619 में से 344), गंभीर मामलों (202 में से 112), और मृत्यु दर (7 में से 5) के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है.


गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण भी बन सकता है


'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के नतीजों का मतलब है कि शुरुआत के इंफेक्शन को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसका वैश्विक महत्व भी है क्योंकि दुनिया भर में डेंगू वायरस का विस्तार जारी रहने की उम्मीद है और अधिक बच्चों और डेंगू-भोली आबादी को डेंगू संक्रमण, गंभीर बीमारी और मृत्यु के खतरे का सामना करना पड़ सकता है, 


पिछले दो दशकों में भारत में डेंगू का संक्रमण बहुत बढ़ गया है. केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फ़ॉर वेक्टर बोर्न डिज़ीज़ कंट्रोल के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में, 5.20 लाख से अधिक डेंगू के मामले और 740 मौतें हुईं. 2021 में 1,93,245 मामले और 346 मौतें, 2022 में 2,33,251 मामले और 303 मौतें और 2023 में 94,198 मामले और 91 मौतें हुईं.


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