Elderly Healthcare : बुजुर्गों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए उनका समय पर इलाज जरूरी होता है. लेकिन अगर इनका इलाज 45 किलोमीटर चलने पर होगा, तो क्या समय पर इलाज संभव है. यह बात हम नहीं, बल्कि हाल में में आए द लांसेट रीजनल हेल्थ-साउथ ईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है. जी हां, इस अध्ययन के मुताबिक, देश में बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इतना ही नहीं, अध्ययन में यह भी देखा गया है कि इन्हें ओपीडी में इलाज के लिए भी औसतन 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है.
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में है असमानता
इस अध्ययन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता भी दिखाई गई है. इसके अनुसार शहर में रहने वाले बुजुर्गों को ओपीडी के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों को ओपीडी में इलाज के लिए 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
32,00 बुजुर्गों के आंकड़ों पर किया गया अध्ययन
विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के शोधकर्ताओं ने 2017-2018 में जुटाए गए 32 बुजुर्गों के डेटा का विश्लेषण किया है. इनमें सभी की उम्र 60 वर्ष से अधिक है.
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यूपी, बिहार और एमपी जैसे राज्य
इन राज्यों के बुजुर्गों को ओपीडी सेवाएं लेने के लिए 11 किलोमीटर से 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, अस्पताल में भर्ती के लिए 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, ओपीडी और अस्पताल में भर्ती होने के लिए सेवा का फायदा उठाने की दर 73 प्रतिशत और 40 प्रतिशत बताई गई हैं.
पहाड़ी राज्यों में और ज्यादा चुनौती
सिक्किम और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी इलाकों में बुजुर्गों के सामने और ज्यादा चुनौतियां हैं. यहां पर 17 फीसदी और 5 फीसदी बुजुर्गों ने 10 किलोमीटर की दूरी पर ओपीडी सेवाओं का लाभ लिया. वहीं, मिजोरम और नागालैंड के बुजुर्गों पर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचने के लिए 60 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है.
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