Skin Regeneration Therapy: लोग खूबसूरत दिखने के लिए नया-नया ट्रेंड ट्राई कर रहे हैं, उन्हीं में से एक है ट्राउट मछली का स्पर्म इंजेक्ट. इसका चलन काफी तेजी के साथ बढ़ा है, खासकर पश्चिमी देशों में. इसमें लोगों को एस्थेटिक क्लिनिक में पतली-सी कैनुला उनके गाल में धीरे से धंसाई जाती है, वह हल्की-सी दर्द भरी आवाज निकालती हैं. इनमें से बहुत से लोगों को ट्राउट स्पर्म अपनी असली अवस्था में नहीं दिया जा रहा. उनके चेहरे के निचले हिस्से में ट्राउट या साल्मन मछली के स्पर्म से निकाले गए छोटे-छोटे डीएनए फ्रैगमेंट डाले जा रहे हैं, जिन्हें ‘पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स’ कहा जाता है.

Continues below advertisement

लेकिन आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ती है?

अब आते हैं इस बात पर कि इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है. इससे पहले एक दिलचस्प बात हमारा डीएनए और मछली का डीएनए काफी हद तक एक-दूसरे से मिलता-जुलता है.इसी वजह से माना जाता है कि एबी का शरीर इसे आसानी से स्वीकार कर लेता है. बदले में उनकी त्वचा के सेल्स सक्रिय हो जाते हैं और ज्यादा कोलेजन व इलास्टिन बनाने लगते हैं. यही दोनों प्रोटीन हमारी त्वचा को मजबूती, कसावट और यंग होने का फील देते हैं. एबी का उद्देश्य है, अपनी त्वचा को रिफ्रेश करना, हेल्दी रखना और कई सालों से परेशान कर रहे मुंहासों के निशानों को हल्का करना.

Continues below advertisement

इसको लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स को स्किनकेयर की दुनिया में नया चमत्कार बताया जा रहा है. ब्रिटेन समेत कई देशों में यह उपचार तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. कई सेलिब्रिटीज तो खुलेआम अपने साल्मन स्पर्म फेशियल का जिक्र कर चुके हैं. कुछ समय पहले ब्रिटिश पॉप स्टार चार्ली XCX ने भी बताया कि उन्हें लगता है फिलर्स अब पुराने पड़ चुके हैं और वह अब पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स पर भरोसा करती हैं कि जिन्हें वह “डीप स्किन विटामिन्स” जैसी चीज बताती हैं.

क्या वाकई यह स्किनकेयर में बदलाव ला रहा है?

डर्मा फोकस नाम की कंपनी में काम करने वाली सुजैन मैन्सफ़ील्ड कहती हैं कि  “हमें लगता है जैसे हम बेंजामिन बटन वाले पल जी रहे हों.” उनका इशारा उस फिल्म की तरफ था जिसमें ब्रैड पिट का किरदार उम्र के साथ उलटी दिशा में बढ़ता है और समय के साथ जवान होता जाता है. हालांकि वैसा चमत्कार तो संभव नहीं, लेकिन मैन्सफील्ड मानती हैं कि पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स स्किन रीजनरेशन की नई दिशा खोल रहे हैं. कुछ शुरुआती रिसर्च बताती हैं कि ये इंजेक्शन त्वचा को नया जीवन दे सकते हैं, झुर्रियों, निशानों और फाइन लाइंस को कम कर सकते हैं.

6-9 महीने में बूस्टर जरूरी

सुज़ैन कहती हैं कि यह उपचार उन्हीं तत्वों का उपयोग करता है जिन्हें हमारा शरीर पहले से जानता है कि यही इसकी खासियत है. लेकिन इसकी कीमत भी कम नहीं. एक सीजन की लागत 200 से 500 पाउंड तक होती है और तीन सत्रों की सलाह दी जाती है. इसके बाद हर 6 से 9 महीने में एक बूस्टर.

साइड इफेक्ट्स 

कुछ रिसर्च इसे सुरक्षित बताते हैं, लेकिन कई एक्सपर्ट इसकी तेज लोकप्रियता को लेकर सतर्क हैं, उन्हें लगता है कि हाइप इसके विज्ञान से आगे निकल रही है. ऑस्ट्रेलियाई स्किन एक्सपर्ट डॉ. जॉन पाग्लियारी कहते हैं कि  “हम जानते हैं कि न्यूक्लियोटाइड्स शरीर के लिए जरूरी हैं, लेकिन क्या साल्मन डीएनए के छोटे टुकड़े इंजेक्ट करना वाकई हमारे अपने डीएनए जैसा असर देगा? हमारे पास पर्याप्त डेटा ही नहीं है.”

इसे भी पढ़ें- Childbirth Lifespan: क्या बच्चे को जन्म देकर घट जाती है मां की उम्र? रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.