डायबिटीज में प्याज खाना सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इस पर पूर्ण तौर पर भरोसा करना सही नहीं होता. डायबिटीज में आहार का रोल प्रमुख है. हालांकि, हर व्यक्ति की डायबिटीज की प्रकृति अलग होती है. कुछ अध्ययनों के अनुसार, प्याज में मौजूद कुछ तत्व शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं. लेकिन ये सबके लिए सही हो ऐसा जरूरी नहीं है.


ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है प्याज


प्याज खाने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. ये डायबिटीज या प्रीडायबिटीज मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है. टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 84 लोगों पर साल 2010 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 100 ग्राम कच्चा लाल प्याज खाने के 4 घंटे के भीतर ही ब्लड शुगर लेवल में काफी कमी आई.


वहीं साल 2020 में चूहों पर इसे लेकर एक रिसर्च हुआ. इस रिसर्च में पता चला कि डायबिटीज से पीड़ित चूहों ने जब 8 सप्ताह तक 5% सूखे प्याज के पाउडर वाला भोजन खाया तो उनके ब्लड शुगर लेवल में तेजी से कमी आई और इनमें ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कम हो गया.


प्याज में होते हैं ये गुण


प्याज में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो सूजन से लड़ते हैं और ट्राइग्लिसराइड, कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करके आपके हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं. इसके साथ ही इनमें बड़ी मात्रा में क्वेरसेटिन, फ्लेवोनोइड एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है.


वहीं, भारी वजन और हाई ब्लड प्रेशर वाले 70 लोगों पर साल 2015 में एक रिसर्च हुई थी जिसमें पता चला कि 162 मिलीग्राम क्वेरसेटिन युक्त प्याज के अर्क को रोज लिया जाए तो इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. इसके अलावा, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम वाली 54 महिलाओं पर साल 2014 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 8 सप्ताह तक हर रोज 80-120 ग्राम कच्चे लाल प्याज का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कंट्रोल में रहता है.


प्याज में कैंसर रोधी गुण होते हैं


प्याज और लहसुन जैसी एलियम सब्जियां पेट और कोलोरेक्टल कैंसर के विकास के जोखिम को कम कर सकती हैं. साल 2015 में हुए एक रिसर्च में, शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सबसे अधिक एलियम सब्जियां खाते हैं, उनमें पेट के कैंसर का इलाज होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 22% कम थी, जो ऐसी सब्जियां कम खाते थे.


वहीं, 2014 में 13,333 लोगों पर किए गए 16 अध्ययनों की समीक्षा में, शोधकर्ताओं ने पाया कि सबसे ज्यादा प्याज खाने वाले लोगों में सबसे कम प्याज का सेवन करने वाले लोगों की तुलना में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा 15% कम था.


जबकि, टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों से पता चलता है कि प्याज में सल्फर युक्त गुण ओनियनिन ए, ट्यूमर के विकास को कम करने और डिम्बग्रंथि के कैंसर के प्रसार को धीमा करने में मददगार साबित हो सकते हैं. वहीं, प्याज में फिसेटिन और क्वेरसेटिन भी होते हैं, जो फ्लेवोनोइड एंटीऑक्सिडेंट हैं ये ट्यूमर के विकास को रोक सकते हैं.


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