भारत में कहा जाता है 'जल ही जीवन है'. लेकिन देश के नलों की हालत ऐसी बिल्कुल नहीं है कि हम इस बात को मान सकें. दरअसल, भारत समेत पूरी दुनिया में इस वक्त पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित हो गया है. पहले इंसान सीधे नलों से पानी पी लेता था, लेकिन क्या आप अब भी ऐसा करते हैं? नहीं करते होंगे. आज हर घर में आरो फिल्टर लगा हुआ है. बिना फिल्टर किए हम पानी नहीं पीते. हम बाहर होते हैं तो कोशिश करते हैं कि बोतल वाला पानी पिएं. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि क्या हम अपने देश में यानी भारत में नल के पानी पर विश्वास कर सकते हैं.


नल के पानी की स्थिति


भारत में नल के पानी की स्थिति क्षेत्र और पानी के स्रोत के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. कुछ क्षेत्रों में, नल के पानी में उच्च स्तर के दूषित पदार्थ जैसे बैक्टीरिया, हैवी मेटल या रसायन हो सकते हैं. ये पानी पीने लायक बिल्कुल नहीं होता है. इसे पीने के बाद आप गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं. वहीं कई शहरों में, नल के पानी की स्थिति ठीक है. यानी इन शहरों का पानी भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है. अगर आप ऐसे शहरों में रहते हैं, तो आप यहां सीधे नल से पानी पी सकते हैं. हालांकि, भारत में ऐसे शहर बेहद कम हैं. इसलिए जब भी आप बाहर का पानी पीएं तो कोशिश करें कि इस पानी को उबाल कर पिएं. दरअसल पानी को कई मिनट तक उबालने से हानिकारक जीवाणुओं को मारने और इसे पीने के लिए सुरक्षित बनाने में भी मदद मिल सकती है.


नल के पानी पर WHO क्या कहता है?


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 70% से अधिक जल स्रोत मल पदार्थ से दूषित हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का कारण बनाते हैं. दूषित नल के पानी से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए, भारत में बहुत से लोग बोतलबंद पानी पीने या वाटर फिल्टर सिस्टम का उपयोग करने का विकल्प चुनते हैं. हालांकि, बोतलबंद पानी खरीदते समय सावधानी बरतना ज़रूरी है, क्योंकि कुछ ब्रांडों में दूषित पदार्थ हो सकते हैं या वो खराब गुणवत्ता के हो सकते हैं. इसके अतिरिक्त, कुछ वाटर फिल्टर सिस्टम पानी से सभी दूषित पदार्थों को प्रभावी ढंग से नहीं हटा सकते हैं, इसलिए एक प्रतिष्ठित ब्रांड का उपयोग करना और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से अपने पानी का परीक्षण करना महत्वपूर्ण है. दूषित नल के पानी से उत्पन्न चुनौतियों के अलावा, भारत के कई ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित पेयजल तक पहुंच भी सीमित है, जहां 600 मिलियन से अधिक लोग अभी भी अपनी दैनिक पानी की जरूरतों के लिए दूषित स्रोतों पर निर्भर हैं.


भारत सरकार इस पर क्या कर रही है


भारत सरकार ने ग्रामीण समुदायों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वच्छ भारत अभियान (स्वच्छ भारत मिशन) और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम सहित इस मुद्दे को हल करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं. हालांकि, इन पहलों का कार्यान्वयन धीमा रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है कि सभी भारतीयों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो. सरकार, गैर-सरकारी संगठन और निजी कंपनियां सभी मिलकर स्थिति को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है कि सभी के पास स्वच्छ और सुरक्षित पानी उपलब्ध हो.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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