Brain Stroke: इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में एक धमनी ब्लॉक हो जाती है. ब्लड सरकुलेशन नहीं हो पाता है. ऑक्सीजन की कमी होने पर दिमाग की कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है जिसके रिजल्ट में पूरे शरीर पर विकलांगता हो जाती है, व्यक्ति की मौत भी हो जाती है.  सीडीसी के मुताबिक अमेरिका में स्ट्रोक मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है.अकेले अमेरिका में ही हर साल 7 लाख 95 हजार  लोगों को स्ट्रोक आता है. भारत की बात करें तो यहां स्ट्रोक मृत्यु का सबसे बड़ा चौथा कारण है और विकलांगता का पांचवा सबसे बड़ा कारण है. हालांकि पिछले शोधों से पता चला है कि स्ट्रोक के बाद दिमाग खुद को ठीक कर सकता है लेकिन एक निश्चित सीमा तक.स्टडी में यह भी साफ हुआ है कि नाक पर दवाओं का छिड़काव करने से ब्रेन स्ट्रोक को ठीक करने में मदद मिल सकती है.


क्या नेजल स्प्रे से हो सकता है इलाज


पूर्व के कई शोधों से यह पता चला है कि कुछ एंटीबॉडीज नोगो ए ( Nogo -A) जो दिमाग के विकास को रोकता है उसकी गतिविधि को रोककर मस्तिष्क को ठीक करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश मस्तिष्क को एंटीबॉडी प्राप्त करना मुश्किल साबित हुआ, क्योंकि ब्लड ब्रेन बैरियर से पास करने के लिए ये एंटीबॉडी बहुत बड़े पाए गए हालांकि इस नए प्रयास में शोधकर्ताओं ने एक नया तरीका अपनाया और वह है कि एंटीबॉडी को नजल  स्प्रे में डालकर जांच करना.पिछले शोध के अनुसार कुछ दवाएं गंध का पता लगाने वाली नर्वस सेल की यात्रा करती हैय यह नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचने में सक्षम हो सकती हैं क्योंकि इनमें लंबे फाइबर होते हैं जो नाक के रास्ते से मस्तिष्क तक फैलते हैं, दवा जो स्ट्रोक के प्रभाव का मुकाबला करती है उन्हें नाक के ऊपर स्प्रे करने से मस्तिष्क तक पहुंचाया जा सकता है.इस बात की गहराई तक जाने के लिए शोधकर्ताओं ने स्ट्रोक वाले चूहों पर इस्तेमाल के लिए नेजल स्प्रे बनाया.




स्टडी में  हुआ खुलासा


ज़्यूरिख़ में स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और न्यूकैसल यूनिवर्सिटी को शोधकर्ताओं ने ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित चूहों पर यह स्टडी की है. टीम ने सबसे पहले चूहों के दिमाग के कुछ हिस्सों में खून के प्रवाह को रोक दिया. इसके बाद स्ट्रोक के प्रभाव की जांच की कुछ चूहों को 2 सप्ताह तक हर दिन एक बार एंटीबॉडी नेजल स्प्रे दिया गया, जिसके रिजल्ट में यह पाया गया कि स्ट्रोक के 4 सप्ताह बाद उनमें लगभग 60% तक सुधार देखा गया. वहीं प्लेसिबो उपचार लेने वाले चूहों में यह आंकड़ा लगभग 30% था. शोधकर्ताओं के अनुसार नाक के ऊपर स्प्रे करने वाली दवाएं ब्रेन स्ट्रोक के प्रभाव का मुकाबला करने में सक्षम हो सकती हैं. उन्हें नाक के ऊपर स्प्रे कर के मस्तिष्क तक पहुंचाया जा सकता है.


नसल स्प्रे एरोसोल के रूप में होता है. इसमें थैरेपीयूटिक पेप्टाइड कंपाउंड होते हैं, इसकी डिलीवरी नाक से दिमाग तक हो जाती है. शोधकर्ताओं की टीम ने चूहों के दिमाग की जांच की है, जिनमें पाया गया है कि इलाज किए गए चूहों में अधिक नए-नए फाइबर देखे गए . यहां  एंटीबॉडी लेवल स्ट्रोक के कारण हुए जख्म की मरम्मत में प्रभावी है. इससे पता चलता है कि दिमाग के अंदर रीजेनरेटिव पावर है. चूहों के नाक पर स्प्रे किए गए एंटीबॉडी उन्होंने मस्तिष्क में स्ट्रोक जैसी क्षति की मरम्मत की. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि दवाएं तंत्रिका कोशिकाओं के माध्यम से यात्रा करती है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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