नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा कि अगर किसी व्यक्ति के परिवार में अंग दान करने वाला कोई नहीं है तो क्या वह किडनी प्रतिरोपण के लिए अंगदाता पाने के लिए विज्ञापन दे सकता है. इस मुद्दे को एक मरीज ने उठाया. उसने अदालत का ध्यान दिलाया कि सेलिब्रिटी के मामले में मीडिया का ध्यान पड़ने से उनके लिए अंगदाता मिलना आसान हो जाता है लेकिन आम नागरिकों को विज्ञापनों का लाभ पाने का अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए किडनी प्रतिरोपण के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने को कहा. न्यायाधीश ने एक मरीज की याचिका पर राष्ट्रीय अंग एवं उतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) और एम्स की भी राय जाननी चाही. एनओटीटीओ अंग एवं उतकों के पंजीकरण, खरीद एवं वितरण के लिए शीर्ष केंद्र है. मरीज विनोद कुमार आनंद ने अपनी दोनों किडनी और अपनी पत्नी द्वारा अंगदान में दी गई एक किडनी को रेनल समस्याओं की वजह से खो दिया है.