कई बार आपने सुना होगा कि इस आदमी की मौत ब्रेन हैमरेज से हो गई.लेकिन आपको पता है ब्रेन हैमरेज और स्ट्रोक में काफी फर्क है. लेकिन ज्यादातर लोगों को दोनों के बीच का अंतर पता नहीं होता है, जिसे जानना बेहद जरूरी है. अगर आपको ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज के बीच का फर्क पता है तो मरीज की जान बचाने में आसानी होती है. तो आइए जानते हैं ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज के बीच का फर्क क्या है?


नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी के डायरेक्टर व चंडीगढ़ पीजीआइ के पूर्व कंसलटेंट रहे डॉ राहुल गुप्ता बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज में काफी अंतर है. ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार का होता है.इसमें पहला इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक और दूसरा हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक होता है. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक या अटैक तब आता है जब दिमाग की नस जो खून पहुंचाने का काम करती है. उसमें किसी तरह की दिक्कतें शुरू होती हैं. नसो में यह रूकावट किसी भी तरह की ब्लॉकेज के कारण हो सकती है. देश में 85 प्रतिशत लोग इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक से गुजरते हैं. इसके पीछे का सबसे अहम कारण आपकी लाइफस्टाइल हो सकता है. वहीं हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज तब होता है जब आपकी दिमाग में पहुंचने वाली नसें फट जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 15 प्रतिशत लोग ब्रेन हैमरेज या ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होता है. 


इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक किन कारणों से होता
इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्यत: डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्मोकिंग, खान-पान में गड़बड़ी, लिपिड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने के कारण होता है. इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्लड वेसेल्स पतला हो जाता है. उसके अंदर चर्बी जम जाती है. ऐसे में खून का फ्लो दिमाग में कम हो जाता है.जिसकी वजह से हार्ट की प्रॉब्लम होने के साथ-साथ हार्ट में  एट्रील फिब्रीलेशन हो जाती है. जिसके कारण हार्ट में छोटे-छोटे गांठ बन जाते हैं. जिसके बाद यह ब्रेन की तरफ चल जाते हैं. और इसके कारण ब्रेन की ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाते हैं. इसमें कई बार लोग बेहोश हो जाते हैं. उनका चेहरा टेढा हो जाता है.


इन वजहों से होते हैं हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक


99 प्रतिशत लोगों में हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज का खतरा तब होता है जब दिमाग में खून पहुंचाने वाली नसें फट जाती है. जिसे एन्यूरिज्म कहते हैं. इसे आप आर्टरीवेनस मालफॉर्मेशन (एवीएम) या हाईपरटेंशन कहते हैं. इस बीमारी में ब्रेन के अंदर छोटे-छोटे बैलून बन जाते हैं. नस डैमेज हो जाती है. और गुब्बारा बना हुआ है. 


इलाज
डॉ राहुल गुप्ता के मुताबिक ब्लड वेसेल्स काफी डैमेज हो जाता है. जिसकी वजह से नसें फट जाती है. इस केस ऑपरेशन करके इसे ठीक किया जा सकता है. ताकि ब्लीडिंग न हो. दिमाग में होने वाली ब्लीडिंग को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है. ब्रेन स्कीमिया हुआ या ब्लड वेसेल्स बंद हो गई तो खून की सप्लाई रूक जाती है. सीटी स्कैन के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है. 


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