Arkmool Health Benefits: भारत की धरती हजारों साल से औषधियों की खदान रही है. एक साधारण सी दिखने वाली लेकिन प्रभावशाली जड़ी-बूटी – अर्कमूल, जिसे आम बोलचाल की भाषा में अकौआ, अकौड़ा या मदार भी कहा जाता है. अर्कमूल एक झाड़ीदार पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम 'कैलोट्रोपिस गिगेंटिया' है और यह एपोसाइनेसी परिवार से है. इसकी ऊंचाई 3-5 फीट है और तने या पत्ते को तोड़ने पर सफेद दूध निकलता है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है.

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चरक संहिता अर्कमूल को पाचन और आंतरिक रोगों के लिए उपयोगी मानती है, जबकि सुश्रुत संहिता इसे मुख्य रूप से रोगों और घावों से छुटकारा दिलाने में उपयोगी मानती है. कुछ रिसर्च में पाया गया है कि कैलोट्रोपिस के तत्वों में एंटी-कैंसर गुण भी पाए गए हैं. यह कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को रोक सकता है. 

'अर्कमूल का उपोयग रोगों के इलाज में किया जाता है'

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सुश्रुत संहिता में अर्कमूल का उपोयग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है. इसे एक शक्तिशाली औषधि माना जाता है. जिसका उपयोग त्वचा रोगों, पेट के कीड़ों, प्रमेह, नेत्र रोगों और घावों के इलाज के लिए किया जाता है.यह आयुर्वेद चिकित्सा में सूजन, दर्द, बुखार और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा जोड़ों के दर्द, गठिया और साइटिका से भी राहत दिलाता है.

अर्क की जड़ में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है. यह जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, गठिया और साइटिका जैसे दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी होते हैं. अर्क की जड़ बुखार कम करने में भी मदद करती है, खासकर उन बुखारों को जो इंफ्लूएंजा या सर्दी के कारण होती है. अर्क की जड़ पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करती है. प्रसव पीड़ा के दौरान, जड़ों का अर्क बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए दिया जाता है.

अर्क मूल के साइड इफेक्ट

अर्क मूल के उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे पेट दर्द, सीने में जलन, मतली, उल्टी, दस्त, अपच, भूख न लगना, सिरदर्द और चक्कर आना शामिल है. इसके लिए डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती है और धीरे-धीरे समय के साथ हल हो जाते हैं. हालांकि, अगर साइड इफेक्ट लगातार बने रहते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

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