नई दिल्लीः नागपुर में हैजा पिछले चार सालों में खत्म सा हो गया था लेकिन वॉटर बोर्न डिजीज़ हैजा का प्रकोप दोबारा देखने को मिल रहा है. जी हां, 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक हैज़ा के 31 केस देखने को मिले. 1514 पॉजिटिव मामलों में से वॉटर बोर्न डिजीज़ में गैस्ट्रो एन्टराइटिस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए.
NMC ने जारी की है रिपोर्ट-नागपुर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (NMC) ने आंकड़े बताते हुए कहा कि पूरे नागपूर में अप्रैल से जुलाई 2016 के बीच 29 मामले हैजा के दर्ज किए गए और दो मामले अगस्त में दर्ज हुए. हालांकि उसके बाद से अभी तक एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है.
हैजा वापिस आने का कारण है ये-चार साल के गैप के बाद हैजा वापिस आने का कारण एक शोभायात्रा को माना जा रहा है, जो कि अप्रैल 2016 में निकली थी और इसमें लगभग 8 से 9 मरीज शामिल थे. जिसमें अधिकत्तर 10 साल से कम उम्र के बच्चे थे. जो कि उस समय इस बीमारी से पीडित थे. इसके बाद से ही ये बीमारी वहां रहने वाले लोगों में फैलने लगी. एनएमसी के को-ओर्डिनेटर मेडिकल ऑफिसर डॉ. विजय तिवारी का कहना है कि वे इस बीमारी को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
उबला पानी पीने की सलाह-सावधानी बरतते हुए लोगों को चेतावनी दी गई कि बुखार या लूज़ मोशन होते ही तुरंत दवा लें. उसके बाद डॉक्टर को दिखाएं. इसके साथ ही वहां जागरूकता फैलाई गई और लोगों को उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी गई. ऑरेंज सिटी वॉटर को पानी में क्लोरीनीकरण का लेवल बढ़ाने के लिए कहा गया जिससे साफ पानी लोगों तक पहुंच सके.
2016-17 में रिकॉर्ड तोड़ दिए वॉटर बोर्न डिजीज़ ने-चार साल पहले और पिछले साल की रिकॉर्ड्स की जब तुलना की गई तो पाया गया कि अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच गैस्ट्रो एन्टराइटिस, पेचिस और पीलिया पीक पर थे. 1514 मामलों में से मार्च 2017 गैस्ट्रो एन्टराइटिस के मामले सबसे ज्यादा 193 रिकॉर्ड किए गए. वहीं पेचिस के भी सबसे ज्यादा 11 मामले दर्ज हुए. इसके अलावा 83 मामले पीलिया के सामने आए. लेकिन डायरिया के इस 16-17 में 11 ही मामले सामने आए.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.