Truth Behind Popular Health Claims: 2025 में कई हेल्थ दावे सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से वायरल हुए कि लोग इनको सच मानने लगे. इसमें मूत्र पीने से लेकर एंटी-एजिंग सप्लीमेंट्स तक, अलग-अलग बातें इतनी तेजी से फैलीं कि लोग इन्हें घरेलू उपाय या नेचुरल इलाज मानने लगे. लेकिन डॉक्टरों ने इन दावों की जांच की तो कई बातें बिना वैज्ञानिक आधार की निकलीं. चलिए आपको इनके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

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मूत्र पीने की चर्चा

अप्रैल 2025 में परेश रावल द्वारा घुटने के दर्द के लिए 15 दिन तक अपना मूत्र पीने का दावा खूब चर्चा में रहा. डॉक्टरों ने तुरंत साफ किया कि मूत्र में शरीर के टॉक्सिन होते हैं और इसे पीने से संक्रमण, किडनी पर दबाव और इलेक्ट्रोलाइट गड़बड़ी का खतरा होता है. यानी यह दावा बिल्कुल वैज्ञानिक आधार से रहित है. इसी साल सोनाली बेंद्रे की वह पोस्ट भी वायरल हुई जिसमें उन्होंने कहा कि ऑटोफैगी ने उनके कैंसर इलाज में मदद की. डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि ऑटोफैगी शरीर की सफाई प्रक्रिया है, लेकिन कैंसर का इलाज नहीं. कई एक्सपर्ट ने चेताया कि गलत उम्मीदों में लोग इलाज देर से शुरू करते हैं और स्टेज 3 से 4 में ही वापस आते हैं.

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बड़ा विवाद

2025 में एक और बड़ा विवाद तब हुआ जब सोशल मीडिया पर यह बात फैली कि ज्यादा वैक्सीन देने से ऑटिज्म बढ़ रहा है. इस विवाद से खासतौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का नाम जुड़ा रहा, जिसके बाद WHO, CDC और ICMR सहित तमाम एजेंसियों ने कहा कि वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है. डॉक्टरों ने चेताया कि ऐसे दावे वैक्सीनेशन पर जनता का भरोसा कमजोर करते हैं.

NMN और एंटी-एजिंग सप्लीमेंट्स का क्रेज

 इसी दौरान एनएमएन सप्लीमेंट को लेकर भी बड़े पैमाने पर चर्चा हुई. इसे उम्र घटाने, एनर्जी बढ़ाने और रिकवरी सुधारने वाला बताया गया. अगर सरल शब्दों में कहा जाए, तो इसके सप्लीमेंट को “जवानी वापस लाने वाला फॉर्मूला” बताया गया. डॉक्टरों ने बताया कि एनएमएम पर मौजूद रिसर्च अधिकतर जानवरों पर हुई है और इंसानों में इसके असर को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है. लंबे समय के उपयोग की सुरक्षा भी साफ नहीं है. यानी यह ट्रेंड विज्ञान से ज्यादा मार्केटिंग पर आधारित था.

डॉक्टरों ने जताई चिंता

कई डॉक्टरों ने यह चिंता जताई कि ऐसे वायरल दावों से लोग असली इलाज छोड़कर विकल्पों की तरफ मुड़ जाते हैं. इससे बीमारी बढ़ जाती है और इलाज देर से शुरू होता है. विशेषज्ञों ने कहा कि सोशल मीडिया पर फैली अधूरी या गलत जानकारी लोगों को भटका सकती है और गंभीर परिणाम दे सकती है. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.