Vaccination of Children: जब एक नन्हा बच्चा अपनी मां की गोद में पहली बार दुनिया को देखता है तो उसके जीवन की शुरुआत आशाओं और संभावनाओं से भरी होती है. मां-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा स्वस्थ रहे, बड़े होकर कुछ बने. लेकिन कल्पना कीजिए, अगर इस मासूम की जिंदगी उन बुनियादी सुरक्षा कवचों से भी वंचित रह जाए जो उसे जानलेवा बीमारियों से बचा सकते हैं. तो क्या हम एक सुरक्षित और संवेदनशील समाज की कल्पना कर सकते हैं? टीकाकरण सिर्फ एक स्वास्थ्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य की पहली ढाल होती है. दुख की बात है कि साल 2023 तक दुनिया भर में 1.57 करोड़ बच्चे ऐसे रहे जिन्हें जीवन रक्षक टीके तक नहीं मिल पाए और चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 14 लाख मासूम भारत के भी शामिल हैं.

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द लांसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में वैश्विक स्तर पर करीब 1.57 करोड़ बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज तक नहीं मिल पाई. ये आंकड़े न सिर्फ स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को दर्शाते हैं, बल्कि समाज की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करते हैं.

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किन-किन देशों में टीकाकरण नहीं हो पाया 

भारत जो दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाता है, वह भी इस संकट से अछूता नहीं रहा. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 14 लाख बच्चे ऐसे रहे जिन्हें कोई भी वैक्सीन नहीं दी गई. यह संख्या एक बड़े जनसंख्या वाले देश के लिए चिंता का विषय है, खासकर तब जब सरकार मिशन इंद्रधनुष जैसे कार्यक्रमों के जरिए शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य लेकर चल रही है. अन्य देशों की बात करें तो नाइजीरिया, कांगो, इथियोपिया, सोमालिया, सूडान, इंडोनेशिया और ब्राजील में भी बड़ी संख्या में बच्चे टीकाकरण से वंचित रहे.

टीका क्यों है जरूरी?

टीकाकरण बच्चों को डिप्थीरिया, टिटनस, खसरा, पोलियो, निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाता है. 

भारत में टीकाकरण से वंचित होने के कारण:

ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी

जागरूकता की कमी और सामाजिक भ्रांतियां

कुछ क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर डर या गलतफहमी

कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य तंत्र की प्राथमिकताओं में बदलाव

क्या है समाधान?

जनजागरूकता अभियानों को और मजबूती देना

स्वास्थ्यकर्मियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएं और प्रशिक्षण

माता-पिता को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.