अधिक नींद आना एक सामान्य समस्या है.अगर आपको रात को अच्छी नींद लेने के बाद भी दिन में बार-बार नींद आने लगे, तो इसका मतलब है कि आपको "आईडियोपैथिक हाइपरसोम्निया" नामक न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों को ऐसा लगता है जैसे वे स्लीप डिप्राइव्ड हों या फिर नींद टूटने पर भी वे उलझन में रहते हैं. हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक, यह बीमारी पहले सोचे जाने के मुकाबले कहीं ज्यादा कॉमन है. यह रोज की गतिविधियों को करना मुश्किल बना देती है और जीवन की क्वालिटी को खराब करती है.शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बीमारी की पहचान और इलाज करना बेहद जरूरी है. और इस शोध से इसके कारण और नए इलाज खोजने में मदद मिलेगी. 


जानें क्या कहता है रिसर्च
इस बात का खुलासा "विस्कॉन्सिन स्लीप कोहोर्ट स्टडी में आईडियोपैथिक हाइपरसोम्निया का प्रीवैलेंस एंड क्रॉस " नामक एक अध्ययन में हुआ था. यह अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी के इसी महीने प्रकाशित ऑनलाइन अंक में प्रकाशित हुआ था. इस शोध में पाया गया कि ऐसी स्थिति 'आईडियोपैथिक हाइपरसोम्निया' नामक न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर का संकेत हो सकती है. यह बीमारी इपिलेप्सी और स्किज़ोफ्रेनिया जितनी ही कॉमन है. इससे ग्रस्त लोगों को अक्सर स्लीप डिप्राइव्ड जैसा महसूस होता है. इसमें 792 लोगों के स्लीप डेटा की जांच की गई, जिनकी औसत उम्र 59 साल थी. 


जानें बीमारी के बारे में
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डेविड टी प्लांट ने कहा, "आईडियोपैथिक हाइपरसोम्निया कितना कॉमन है, ये पता लगाना मुश्किल रहा है. क्योंकि इसके लिए महंगे स्लीप टेस्ट कराने पड़ते हैं जो टाइम लेने वाले भी होते हैं. हमने एक बड़े स्लीप स्टडी के डेटा का विश्लेषण किया. इससे पता चला कि यह बीमारी पहले सोचे जाने के मुकाबले कहीं ज्यादा कॉमन है. यह मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर और स्किजोफ्रेनिया जितनी ही कॉमन है."


 जानें क्या है इलाज
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बीमारी का कारण जानना और इसका सही इलाज करना बहुत जरूरी है. ताकि मरीजों की लाइफ क्वालिटी में सुधार हो सके. इसका पता स्लीप टेस्ट से लगाया जा सकता है. इसे कई दवाओं से ठीक किया जा सकता है जो नींद खोलने में मदद करती हैं. ये दवाएं मरीज की लाइफ क्वालिटी को बेहतर बना सकती हैं. 


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