मदर टंग चाहे बोलो या ना बोलो, इंसान इसे कभी नहीं भूलता!
ABP News Bureau | 24 Jan 2017 02:23 PM (IST)
नईदिल्ली: अगर आप अपने घर से बाहर पढ़ रहे हैं या फिर जॉब कर रहे हैं तो ये भी जरूरी है कि आपको एक से अधिक लैंग्वेंज आएं. जब आप घर से दूर बाहर रह रहे होते हैं तो अक्सर ऐसा होता है कि आप मदर टंग में बात नहीं कर पाते और आपको दूसरी भाषा में बात करनी पड़ती है. लेकिन एक चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है जिसके मुताबिक, आप अपनी मदर टंग में बेशक बात ना करें लेकिन आप उसे कभी भूलते नहीं है. इतना ही नहीं, आपके बच्चे भी बाइलिंगग्वल हो जाते हैं. मदर टंग पर आई रिसर्च- हालिया रिसर्च के मुताबिक, बच्चे अपनी जिंदगी के शुरूआती दौर में ही मदर टंग सीख लेते हैं. यानि अगर बच्चे यंग ऐज में भी दूसरी कंट्री में शिफ्ट हो जाते हैं तो भी वे अपनी मदर टंग नहीं भूलते. यहां तक की बड़े होकर वे अपनी मदर टंग को सही तरह से सीखने के अधिक इच्छुक होते हैं. किसने की ये रिसर्च- एम्सटर्डम में रेडबॉड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी और हैनयैंग यूनिवर्सिटी के सहयोग से 25 कोरियन उन एडल्ट्स पर स्टडी की जिन्हें डच फैमिली में जन्म लेने के कुछ समय कोरियंस ने एडॉप्ट कर लिया गया था. ये लोग कई साल बाद भी अपनी मदर टंग में बोल सकते थे. टेस्टिंग लैग्वेज एबिलिटी- स्टडी के दौरान सभी प्रतिभागियों को कई टास्क दिए गए. रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि डच और कोरियन डच ग्रुप के एडल्स की लैंग्वेंज में कोई फर्क नहीं था. यानि गोद लिए जाने के बाद भी वे अपनी मदर टंग को आसानी से गोल पा रहे थे. रिसर्च में ये भी पाया गया कि जो बच्चे लैंग्वेज स्विच करते हैं वे जल्दी ही अपनी मदर टंग को भी कैच कर लेते हैं और उसे जीवनभर नहीं भूलते. बच्चों से बाते करें- शोधकर्ता डॉ. जियोन चोई का कहना है कि पेरेंट्स को बच्चों के साथ अपनी मदर टंग में बात करनी चाहिए. इससे वे जल्दी ही लैंग्वेज को एब्जॉर्व करते हैं कि पेरेंट्स क्या कहना चाह रहे हैं. रिसर्च में ये भी देखा गया कि बच्चे पैदा होने के कुछ ही महीनों में यूजफूल लैंग्वेज पिक कर लेते हैं जिसे वे बिना प्रैक्टिस के भी मेंटेन रखते हैं.