नई दिल्लीः दीवाली पांच दिन तक मनाई जाती है. दीवाली के त्योहार की शुरूआत होती है धनतेरस से यानी धन त्रयोदशी से. आज धन त्रयोदशी है, इसीलिए आज से दीवाली प्रारंभ होती है. आज हम आपको बताएंगे कैसे धनतेरस पर घर आएंगी लक्ष्मी. साथ ही गुरूजी ये भी बताएंगे कि धनतेरस पर कैसे करें दान जिससे खुश होंगी लक्ष्मी जी. चलिए जानते हैं धनतेरस के दिन कैसे करें पूजा और रखें किन बातों का ख्याल.


धनतेरस का मतलब दो तरीकों से लिया जाता है-

झाडू खरीदने का वि‍धान – पहला, इस दिन दीपावली की शुरूआत होती है तो इस दिन घर की साफ-सफाई करना जरूरी होता है. क्‍या आप जानते हैं धनतेरस पर झाडू खासतौर पर खरीदी जाती है. धनतेरस के दिन झाडू खरीदने का वि‍धान घर की साफ-सफाई से लिया जाता है.


धनतेरस से श्री विष्णु जी, भगवान राम और मां लक्ष्मी के पांव आपके द्वार पर पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में घर साफ-सुथरा होना चाहिए. इसलि‍ए धनतेरस का दिन साफ-सफाई का दिन माना गया है.


यमदिवस – दूसरा, धनतेरस को स्वास्थ्य लाभ का त्योहार भी माना जाता है. आज के दिन यमराज की पूजा भी होती है. आज के दिन को यमदिवस भी कहा जाता है.


बेशक, आज हर त्योहार में बाजार बहुत हावी है लेकिन आपको त्योहार की दिव्यता और आवश्यकता को नहीं भूलना चाहिए. आज के दौर के हर त्योहार के पीछे के तत्व को जरूर समझें.


आज के दिन यमराज से बचने के लिए पूजा की जाती है. स्वास्थ्य वृद्धि के लिए आज पूजा की जाती है. लेकिन ये भी ध्यान रखें कि यमराज यानि असुरों की पूजा विशेष समय पर की जाती है.


आज के दौर में झाडू, दीप और बर्तनों की जगह सोने-चांदी ने ले ली है. लेकिन त्योहार के तत्व को भूलकर पूजा करने से लाभ नहीं होगा.


धनतेरस पर ये सामान जरूर खरीदें-




  • झाडू, पोछा और साफ-सफाई का सामान जरूर लें.

  • घर को सुगंधित करने वाला सामान जरूर खरीदें.

  • मिट्टी वाले दीपक ही जलाएं.

  • पांच ऐसे बर्तन खरीदें जिसमें आप अपने भगवान को भोजन अर्पित कर सकें. कटोरी, थाली, जग, चम्मच जैसी चीजें खरीद सकते हैं.

  • अगर आपकी क्षमता है तो आप चांदी या तांबे का बर्तन खरीदें. चांदी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है. चांदी रक्त शोधक है. फूल का बर्तन भी स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है.

  • पांच दिन के त्योहारों की शुरूआत होने के कारण आज कई तरह के दीप और बर्तन खरीदें जाते हैं.

  • आज के दिन एल्यूमिनियम के बर्तन में खाना खाने से बचें. एल्यूमिनियम खाने को जहरीला बनाता है.

  • स्टील का बर्तन भी बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं होता.

  • आज के दिन भगवान जी के लिए कुछ जरूर खरीदें. इसमें दीपक, वस्त्र, त्रि‍शुल भी खरीद सकते हैं.

  • कुछ लोग नई प्रतिमाएं घर में लाते हैं. पुरानी टूटने पर ही नई प्रतिमाएं घर में लाएं.

  • आज के दिन मिठाईं खरीदें लेकिन खोएं की मिठाई लेने से बचें.

  • खील, बताशे, परवल जैसी चीजें भी आज ही खरीदें.

  • आज अपने घर के साथ-साथ किसी जरूरतमंद के लिए भी सामान खरीद कर लाएं.


आज के दिन दो तरह की पूजा होती है-
प्रदोष काल की पूजा और वृषभ काल की पूजा. इन दोनों ही पूजाओं का वि‍शेष महत्व है.
राहुकाल- दोपहर 02.55 से 4.20 तक
प्रदोष काल की पूजा का समय है शाम 6.10 से 7.52 तक.
वृषभ काल की पूजा का समय है शाम 7.52 से 9.52 तक का.


कैसे करें पूजा-
प्रदोष काल की पूजा- इस पूजा में भगवान शिव का अभि‍षेक किए बिना उनकी उपासना करनी है. वो चाहे रूद्र मंत्र से करें या महामृत्यनजंय मंत्र से. घर के लोगों को स्वास्थ्य अच्छा करने और अकाल मृत्यु से बचाने के लिए ये पूजा की जाती है.




  • प्रदोष काल की पूजा के लिए लोटे या बर्तन में अनाज भरकर अपने घर के बाहर द्वार पर एक दीपक के साथ रखें. अनाज दो-तीन प्रकार का हो सकता है. कुछ मीठा भी रखें. अनाज इतना हो कि कोई गरीब पेट भरकर खा सके.

  • कम से कम 5 दीएं जलाएं. 5 दीएं नहीं हैं तो एक बड़ा दीपक जला लें. दीपक आटे का बना हो या फिर उसे घर पर ही बनाएं. मिट्टी का दीपक आखिरी विकल्प होना चाहिए.

  • बड़ा दीपक एक और चार छोटे दीपक होंगे. सभी में सरसों का तेल डालें. बड़ा दीपक चार बत्तियों वाला होना चाहिए.

  • भगवान शिव की पूजा-आराधना करते हुए इस मंत्र का जाप करें- ‘ॐ रुद्राय नमः’. या फिर महामृत्युं जय मंत्र का जाप करें.


वृषभ काल की पूजा- वृषभ काल के दौरान कोई भी शुभ काम शुरू किया जा सकता है. इस समय आप स्वास्थ्य के लिए भी जप कर सकते हैं. घर की खुशहाली के लिए अपने ईष्ट का नाम लीजिए. ईष्ट का जाप करने से सकारात्मकता आती है.



नोट: ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.