कोरोना महामारी का असर हर तबके पर पड़ा है. कोरोना मरीजों के अलावा सामान्य लोग भी जनजीवन अस्त-व्यस्त होने से परेशानियों का सामना कर रहे हैं. एक सर्वे के अनुसार भारत में करीब 50 फीसदी कामकाजी महिलाएं कोरोना महामारी की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रही हैं.  सर्वे में शामिल 47 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि कोविड महामारी की वह पहल से अधिक दबाव या बेचैनी महसूस कर रही हैं.


ऑनलाइन पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन के एक सर्वे में के अनुसार कोरोना महामारी की वजह से देश की कामकाजी महिलाएं भावनात्मक रूप से प्रभावित हो रही हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाओं पर ही असर पड़ा है. 38 फीसदी कामकाजी पुरुषों का कहना है कि महामारी की वजह से उन पर दबाव बढ़ा है. यह सर्वे 27 जुलाई से 23 अगस्त के बीच 2,254 पेशेवरों में किया गया. इसमें देश की कामकाजी मांओं और कामकाजी महिलाओं पर महामारी के प्रभाव का आकलन किया गया है. इसके अलावा सर्वे में 'फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र रूप से काम करने वाले लोगों के व्यक्तिगत वित्त और करियर को लेकर संभावनाओं का भी आकलन किया गया है.


वर्क फ्रॉम होम से मांओं की दिक्कतें बढ़ी

सर्वे कहता है कि महामारी की वजह से बच्चों की देखभाल को लेकर भी चुनौतियां सामने आई हैं. कोरोना महामारी में स्कूल बंद होने से अधिकतर बच्चे घर ही रह रही हैं. सर्वे के अनुसार वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी मांओं की दिक्कतें बढ़ी है. अभी तीन में से एक महिला (31 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही है.  वहीं सिर्फ पांच में से एक पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं.


सर्वे के अनुसार 44 प्रतिशत महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए ऑफिस वर्क के अलावा आगे भी काम करना पड़ रहा है. वहीं 25 प्रतिशत पुरुषों को ऐसा करना पड़ रहा है.  सर्वे के अनुसार, पांच में से सिर्फ एक यानी 20 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्यों या मित्रों पर निर्भर हैं. वहीं पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत का है.