भयंकर सूखा और शक्तिशाली तूफान के कारण अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिए गए लाखों लोगों को आनेवाले दशक में आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी का जोखिम है. ये खुलासा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फोर एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट और एंटी सलैवरी इंटरनेशल की रिसर्च में हुआ है. रिपोर्ट में चेताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से मौसम की घटनाओं का महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों पर प्रतिकूल असर का खतरा है. इस तरह की घटना अन्य देशों समेत भारत में बढ़ रही है. ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित होनेवाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) से एक महीना पहले रिपोर्ट जारी की गई है. 


जलवायु संकंट पर रिपोर्ट में किया गया सावधान


एंटी सलैवरी इंटरनेशनल में जलवायु परिवर्तन और आधुनिक गुलामी पर सलाहकार ने कहा कि रिसर्च बताते हैं कि लाखों लोगों की जिंदगी पर जलवायु परिवर्तन का दूरगामी प्रभाव होगा. प्राकृतिक आपदाएं पर्वायवरण विनाश में योगदान करती हैं. लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर करते हुए उनको तस्करी, शोषण और गुलामी के प्रति संवेदनशील बनाती है. विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि साल 2050 तक जलवायु संकट का प्रभाव 216 मिलियन लोगों को मजबूर कर देगा. शोधकर्ताओं ने पाया कि ऊत्तरी घाना में सूखे के बाद युवा पुरुष और महिलाएं बड़े शहरों की तरफ पलायन को मजबूर कर दिए गए.


तस्करी और गुलामी के बढ़ने की जताई गई आशंका


महिलाएं कुलियों के रूप में काम करती हैं और तस्करी, शारीरिक शोषण और बंधुआ मजदूरी की चपेट में हैं. महिलाओं की तस्करी की जाती है और अक्सर कठिन श्रम और वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है. ठीक उसी वक्त, जलवायु परिवर्तन ने बच्चों को ज्यादा संवेदनशील बना दिया है. बिना संसाधन, कौशल या सामाजिक संपर्क के ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों तक पलायन कर रहे और विस्थापित लोगों को मानव तस्कर या दलाल ढाका या कोलकाता में शिकार बना लेते हैं. रिपोर्ट संसाधनों की कमी, वैकल्पिक आजीविका, नुकसान और क्षति के खिलाफ सुरक्षा, कर्ज और शोषण के बीच गहरा संबंध साबित करती है. नीति निर्माताओं से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या का मुकाबला करने के लिए लक्ष्य निर्धारित काम करने की अपील की गई है.


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