Skin Hyperpigmentation: उम्र बढ़ने के साथ स्किन पर कई समस्याएं आने लगती हैं. इनमें हाइपरपिग्मेंटेशन (Hyperpigmentation) भी शामिल है, जो एक्ने, झुर्रियां, फाइन लाइंस और स्किन टैनिंग से बिल्कुल अलग है. इससे स्किन खराब दिखने लगती है. आजकल ऐसी लाइफस्टाइल और वर्किंग हो गई है कि ज्यादातर लोग हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या से परेशान हैं. ऐसे में आइए जानते हैं हाइपरपिग्मेंटेशन कैसे होता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं...

 

हाइपरपिग्मेंटेशन क्या है?

स्किन एक्सपर्ट के मुताबिक, हाइपरपिग्मेंटेशन को झाइयां कहते हैं. स्किन पर झाइयों का कारण एक तरह का मेडिकल कंडीशन है. इसमें त्वचा पर मेलानिन बहुत ज्यादा बनने लगते हैं और धब्बे नजर आने लगते हैं. मेलानिन एक तरह का पिग्मेंट ही होता है, जो नेचुरल कलर का होता है. जब यह जरूरत से ज्यादा बनता है तो हाइपरपिग्मेंटेशन होती है. महिलाओं में झाइयों की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. 30 साल के बाद उनके चेहरे पर यह समस्या आती है और उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती रहती है. नियमित तौर पर धूप में रहने से यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी पहुंच सकती है.

 

हाइपरपिग्मेंटेशन होने का कारण

स्किन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, झाइयां हार्मोंस में बदलाव से भी हो सकती हैं. इनका कारण जेनेटिक भी होता है. कई बाहरी कारणों की वजह से भी ये समस्या होती है. हाइपरपिग्मेंटेशन के ज्यादातर मामलों में मेलेनिन के बढ़ने से समस्या होती है.  कई कारण मेलेनिन को ट्रिगर कर सकते हैं लेकिन सूर्य की हानिकारक किरणें, हार्मोनल प्रभाव, उम्र और त्वचा की चोट या सूजन इसे ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं.

 

हाइपरपिग्मेंटेशन से बचने के उपाय

 

1. सूर्य की रोशनी से चेहरे को जितना हो सके, उतना बचाने की कोशिश करें.

2. चेहरे को ढक कर ही घर से बाहर निकलें.

3. -ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का रोजाना इस्तेमाल करें. SPF 30 या अधिक वाली सनस्क्रीन ही लगाएं.

4. समस्या कम न हो तो डॉक्टर की सलाह लें.

 

हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज

 

1. डॉक्टर की सलाह पर ही स्किन लाइटनिंग क्रीम जैसे एजेलिक एसिड, कोर्टिकोस्टेरॉइड, रेटिनोइड्स, ट्रेटिनोइन और विटामिन सी का इस्तेमाल करें.

2. कॉस्मेटिक प्रोसिजर्स जैसे लेजर थेरेपी, इंटेंस्ड पलस्ड लाइट और केमिकल्स पिल्स से इलाज कारगर हैं.

 

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