Who Is Eligible For Gratuity: लंबे वक्त तक कंपनी की सेवा करने पर नियोक्ता की ओर से मिलनी वाली "आभार राशि" को ग्रैचुइटी कहते हैं. वैसे तो कंपनियां अपनी ओर से इसकी रकम तय कर सकती हैं लेकिन श्रमिकों के हित को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया है. साथ ही ग्रैचुइटी की न्यूनतम राशि की गणना का फॉर्मूला भी तय कर रखा है. पेमेंट ऑफ ग्रैचुइटी एक्ट, 1972 (Payment Of Gratuity Act, 1972) के अंतर्गत ग्रैचुइटी के हकदार, ग्रैचुइटी के दायरे में आने वाले संस्थान और ग्रैचुइटी की रकम को लेकर विस्तृत नियम और शर्तों को उल्लेख है.


कौन हैं ग्रैचुइटी के हकदार?


फैक्ट्री, खान, ऑयलफील्ड्स, प्लांटेशन, बंदरगाह, रेलवे से जुड़े निजी और सरकारी संस्थानों के साथ-साथ दुकान और ऐसे प्रतिष्ठान जिनमें कम से कम 10 लोग काम करते हैं, उन सभी को अपने कर्मियों को अनिवार्य रूप से ग्रैचुइटी की राशि देनी होगी.


अगर कॉन्ट्रैक्ट में ना हो जिक्र तो कैसे मिलेगी ग्रैचुइटी?


अगर नौकरी शुरू करते वक्त कंपनी के साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में ग्रैजुइटी का जिक्र न भी हो तो भी अगर



  • आपकी कंपनी या संस्थान ग्रैचुइटी एक्ट के दायरे में आती है और

  • आपने कम से कम पांच साल तक उस कंपनी में नौकरी की है और

  • आपको किसी भी तरह के कदाचार के आरोप में कंपनी से नहीं निकाला गया तो आप ग्रैचुइटी की राशि के हकदार हैं.


ग्रैचुइटी की राशि देने में आनाकानी करे कंपनी तो क्या करें?


अगर नौकरी छोड़ने के तीस दिन तक आपको ग्रैचुइटी नहीं मिले तो आप कंपनी तो लीगल नोटिस भेज सकते हैं और जरूरत पड़ने पर राज्य के श्रमायुक्त (Labour Commissioner) के पास भी जा सकते हैं.


यह भी पढ़ें-


Kaam Ki Baat: नौकरी छोड़ने के बाद बकाया वेतन के लिए दौड़ा रही है कंपनी, तो भेजें नोटिस, जानें अपने कानूनी हक


Kaam Ki Baat: कॉलेज एसाइंमेंट हो या दफ्तर का काम, Google Docs Editor Suite मिनटों में करेगा पूरा