PICTURES: प्रवासी मजदूरों की बेबसी जारी, कोई पैदल तो कोई रिक्शा चलाकर जा रहा है घर
ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया कि लाखों लोग सड़क पर हों. इस संकटपूर्ण हालात में लोग एक-दूसरे का साथ देने पूरी ताकत से लगे हैं.
कोरोनावायरस महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन से कामकाज पूरी तरह बंद हो गया है और परिवहन के सारे साधनों के पहिए थम गए, तब लोगों को पैदल ही अपने घरों की तरफ रुख करना पड़ा है.
पैदल चल रही टीकमगढ़ निवासी राजकुमारी बताती है कि उसके पास बच्चों के लिए दूध खरीदने तक के लिए पैसे नहीं हैं
इनमें बहुसंख्यक वे लोग हैं जो दिल्ली के आसपास गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद आदि स्थानों पर काम करते हैं.
बच्चों का हाल यह है कि वे चल नहीं पा रहे हैं. उनके मां-बाप किसी तरह बच्चों को गोद में लिए हुए थके पैरों को आगे बढ़ाते रहने को मजबूर हैं.
ऐसे लोगों से सड़कें पटी पड़ी हैं, सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे हैं.
यातायात का कोई साधन न मिले के कारण पैदल चल रहे इन लोगों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, मगर पैर थम नहीं रहे हैं.
कोई सड़क का सहारा ले रहा है तो कोई रेल पटरी के समानांतर चले जा रहा है.
कोरोना वायरस की इस लड़ाई को लेकर पूरा देश 21 दिन के एहतियाती लॉकडाउन को सफल बनाने में जुटा है. एक तरफ आबादी का बड़ा हिस्सा घरों में है, तो दूसरी ओर काम की तलाश में पलायन कर दूसरे राज्य गए लाखों लोगों का अपने घरों की ओर लौटने का सिलसिला जारी है. कोई पैदल को कई रिक्शें पर सैंकड़ों किलोमीटर जाने को मजबूर है. देखें तस्वीरें.
दिल्ली से अपने प्रदेश की ओर बढ़ते लोगों का कारवां धीरे-धीरे ग्वालियर, झांसी होता हुआ छतरपुर और टीकमगढ़ की तरफ बढ़ रहा है.
हर कोई भूख, प्यास की परवाह किए बिना अपने घर की ओर बढ़े जा रहा है.