नई दिल्लीः रघुराम राजन भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहेंगे या फिर जाएंगे इस पर अटकलों का बाजार गर्म था हालांकि आज रघुराम राजन ने खुद तस्वीर साफ कर दी है.
आरबीआई के कर्मचारियों को खत लिखते हुए उन्होंने कहा कि ''केंद्र सरकार से सलाह लेने के बाद मैंने फैसला लिया है कि मैं 4 सितंबर को अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में लौट जाऊंगा. मैं अगले कुछ महीने आपके साथ काम करूंगा. और हां, जरूरत पड़ने पर मैं अपने देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहूंगा. भरोसा है कि मेरे उत्तराधिकारी आरबीआई को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे. आप लोगों के साथ यहां तक की मेरी यात्रा शानदार रही है.'' बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के हमलों की वजह से आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन सुर्खियों में थे. स्वामी ने पिछले काफी समय से राजन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. स्वामी ने राजन पर स्मॉल फाइनेंस बैंक को लाइसेंस देने में धांधली का आरोप लगाया था और उन्हें हटाने की मांग की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर आरबीआई गवर्नर राजन के खिलाफ सीबीआई के तहत एसआईटी से जांच की मांग भी कर चुके हैं. रघुराम राजन उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिन्होंने 2008 के आर्थिक मंदी की भविष्यवाणी की थी. भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उनकी तारीफ की जाती है जो दुनिया की सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्थाओँ में एक है. रघुराम राजन के पद छोड़ने पर कांग्रेस ने इसके लिए मोदी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है. रघुराम राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री थे और अब तक इस पद पर पहुंचने वाले सबसे युवा शख्ख हैं. इससे पहले उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिज़नेस में पढ़ाया भी है. आरबीआई से रिटायर होने के बाद राजन ने शिक्षा के क्षेत्र में ही काम करने का फैसला किया है. राजन का योगदान भारत की अर्थव्यवस्था सुधारने में रघुराम राजन का अहम योगदान रहा है. वरिष्ठ पत्रकार स्वामीनाथन अंकलेश्वर अय्यर ने कुछ दिन पहले कहा था कि अगर राजन आरबीआई गवर्नर के पद से हटते हैं तो विदेशी निवेश में भारत को करोड़ों का नुकसान होगा. एबीपी न्यूज ने 1 जून को ही बता दिया था कि राजन दूसरा कार्यकाल नहीं चाहते हैं. एबीपी ग्रुप के अखबार आनंद बाजार पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक ''राजन ने कहा था कि वो अमेरिका जाकर पढ़ाना चाहते हैं.''