तस्वीरों में देखें जयललिता का 'जया' से 'अम्मा' का सफर...
इसे महज इत्तेफाक नहीं कह सकते कि एमजीआर की हैट्रिक के बाद से कोई भी पार्टी अब तक तमिलनाडु में लगातार दूसरी पारी भी नहीं खेल पायी थी. पिछले कई दशकों से इस द्रविड़ प्रदेश की राजनीति बारी-बारी से कभी जयललिता तो कभी करुणानिधि के इर्द-गिर्द घूमती रही. तमिलनाडु में सिर्फ एमजी रामचंद्रन ही थे जिन्होंने 1977 से 1988 तक लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी.
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View In Appतमिलों के बीच अम्मा के नाम से लोकप्रिय जयललिता ने अपने पांच साल के कार्यकाल में जनता को लुभाने वाले खूब काम किये. जयललिता ने ‘अम्मा कैंटीन’ शुरू की थी जहां बेहद कम दामों पर भोजन मुहैया कराया जाता है. इतना ही नहीं जयललिता ने अपने शासन के दौरान जनता के लिए अम्मा नाम से एक नया ब्रांड ही शुरू कर दिया. तमिलनाडु में अम्मा मिनरल वॉटर, अम्मा सब्जी की दुकान, अम्मा फार्मेसी यहां तक कि अम्मा सीमेंट भी सस्ती कीमत पर बाजार में मिलने लगे.
एक खूबसूरत दिल मोहने वाली हीरोईन से सख्त आयरन लेडी तक का सफर जयललिता के लिए आसान नहीं रहा है. इन सालों में जयललिता ने देखी है उन्हें मारे जाने की साजिश, उन्हें कुर्सी से उखाड़ फेंकने के दांव-पेंच और भ्रष्टाचार के ऐसे आरोप जो किवदंती तक बन गए. लेकिन हर बार जयललिता इन सबसे निजात पाने में कामयाब रहीं.
तमिलनाडु की सीएम जयललिता का निधन हो गया है. जयललिता अपने राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन के बाद सत्ता में लगातार दूसरी बार आने वाली वो तमिलनाडु में पहली राजनीतिज्ञ थीं. आगे की स्लाइड्स में जानें कैसा रहा जयललिता का ''जया से अम्मा'' का सफर...
अपने राजनैतिक गुरू एम जी रामचंद्रन के साथ उनका दूसरा दौर राजनीति में शुरू हुआ. एमजी रामचंद्रन जब राजनीति में चले गए तो करीब दस साल तक उनका जयललिता से कोई नाता नहीं रहा. लेकिन 1982 में एम जी रामचंद्रन उन्हें राजनीति में लेकर आए. हालांकि इस बात से जयललिता ने हमेशा इंकार किया. रामचंद्रन चाहते थे कि जयललिता राज्यसभा पहुंचे क्योंकि उनकी अंग्रेजी बहुत अच्छी थी. जयललिता 1984-1989 तक राज्यसभा सदस्य बनीं और साथ ही उन्हें पार्टी का प्रचार सचिव भी नियुक्त किया गया.
पहले फिल्मों में कामयाबी और फिर फिल्मों से राजनीति का सफर जयललिता ने बेहद कामयाबी से तय किया. लेकिन अपने राजनीति के सफर में जयललिता ने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं वो उतने ही नाटकीय हैं कि वो फिल्मी कहानी का रूप ले सकते हैं.
एमजीआर की राजनीतिक वारिस जयललिता ने छठी खेली. जयललिता की जीत में उन 60 लाख युवा मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है जिन्होंने पहली बार मताधिकार का प्रयोग किया. युवा मतदाताओं ने 92 साल के करुणानिधि की बजाय 68 साल की अम्मा पर ज्यादा भरोसा किया.
जयललिता की सफलता की एक बड़ी वजह ये भी रही कि पिछली बार की तरह उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा. कर्नाटक हाईकोर्ट से भ्रष्टाचार के पुराने मामले में बरी होने के बाद से उनका और उनके समर्थकों का मनोबल लगातार बढ़ता चला गया. तमिलनाडु की राजनीति में 68 साल की जयललिता के करिश्माई व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की बाकी राज्यों में आंधी चल रही थी उस दौरान जयललिता की पार्टी को तमिलनाडु में 39 में 37 सीटों पर जीत मिली थी.
कहा जाता है कि करूणानिधि के लगातार आरोपों से परेशान होकर एम जी रामचंद्रन ने जयललिता को मदद के लिए बुलाया. जयललिता एक शानदार वक्ता साबित हुईं वो भाषण को रट लेती थीं और फिर डॉयलॉग की तरह सुना देती थीं. उनके भाषणों में भीड़ भी खूब जुटती थी. कहा जाता है कि प्रचार सचिव की जिम्मेदारी जयललिता बखूबी निभा रही थीं लेकिन पार्टी में बड़े ओहदों पर बैठे नेताओं को ये अच्छा नहीं लग रहा था. जिसके बाद धीरे-धीरे रामचंद्रन और जयललिता के बीच रिश्ते में दरार पैदा हुई.
उस ज़माने के सबसे लोकप्रिय अभिनेता एम जी रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी बहुत ही मशहूर हुई. 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की. फिल्मी कामयाबी के दौर में उन्होंने 300 से ज़्यादा तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में काम किया.
जयललिता ने पहले बेंगलुरू और बाद में चेन्नई में अपनी शिक्षा प्राप्त की. कहा जाता है कि जब जयललिता स्कूल में पढ़ ही रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया था. उनकी पहली फिल्म एक अंग्रेजी फिल्म ‘एपिसल’ आई . 15 साल की उम्र में तो उन्होंने कन्नड़ फिल्मों में अभिनेत्री का काम करना शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों का रूख किया. दिलचस्प ये है कि जयललिता उस दौर की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहन कर भूमिका की जिसे उस दौर में बड़ी बात माना गया.
जयललिता का जन्म एक तमिल परिवार में 24 फरवरी, 1948 में हुआ और वो कर्नाटक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई. मैसूर में संध्या और जयरामन दंपति के ब्राह्मण परिवार में जन्मीं जयललिता की शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल में हुई. जयललिता के पिता का तब निधन हो गया था जब वे केवल दो वर्ष की थीं. उनकी मां जयललिता को साथ लेकर बेंगलुरू चली गई थीं जहां उनके माता-पिता रहते थे. बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया.
लेकिन साल 1987 में जब रामचंद्रन का निधन हुआ तो अन्नाद्रमुक दो हिस्सों में बंट गई थी. एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता. जयललिता रामचंद्रन की करीबी थीं उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. लेकिन उनका शरूआत का दौर अच्छा नहीं रहा. जयललिता का खेमा ये कहता रहा है कि साल 1989 में डीएमके के एक मंत्री ने विधानसभा में उनके साथ बुरा बर्ताव किया था.
भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ-साथ जयललिता के दत्तक पुत्र वी सुधाकरण की शाही तरीके से शादी की भी काफी आलोचना हुई थी. 7 सितंबर 1995 को सुधाकरण की शादी तमिल के अभिनेता शिवाजी के गणेशन की पोती से हुई थी. शादी पर करोड़ों रुपया खर्च हुआ. गिनीज बुक में शादी ने दो रिकॉर्ड बनाए. एक शादी में सबसे ज्यादा मेहमान शामिल हुए थे. और दूसरा शादी के लिए सबसे बड़ा पंडाल सजाया गया था. नवंबर 2011 में जयललिता ने स्पेशल कोर्ट को ये बताया था कि शादी में खर्च हुए पूरे 6 करोड़ रुपए दुल्हन के परिवार ने दिए थे.
जयललिता ना सिर्फ तमिलनाडु की पहली निर्वाचित महिला मुख्यमंत्री बनीं बल्कि सबसे कम उम्र में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी. जयललिता की एक खास बात और वो ये कि उन्होंने अपनी ग्लैमर की दुनिया के दरवाजे बिल्कुल बंद कर दिए. वो ना तो मेकअप लगाती हैं और ना ही पुराने दिनों की कोई बात याद करती हैं. वो सादी साड़ी पहनती हैं और यहां तक की फिल्मी दिनों के दोस्तों के बुलावे पर किसी कार्यक्रम में भी नहीं जाती. 1991 से 1996 के बीच जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं. इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप बार-बार लगे. नतीजा ये हुई कि करूणानिधि की डीएमके ने 1996 में जीत हासिल की. कहा जाता है कि करूणानिधि के सत्ता में आने के बाद जयललिता पर जो छापे पड़ी उसमें 750 जोड़े सैंडल, 800 किलो सिल्वर, 28 किलो सोना, साढ़े दस हजार साड़ी, 91 घड़ियां, 44 एसी और 19 कारें बरामद हुई थीं. इसी के बाद आय से अधिक संम्पत्ति का आरोप भी लगाया गया था.
आरोप तो यहां तक है कि उनकी साड़ी तक खींची गई थी. जिसके बाद उन्होंने कसम था ली थी कि वो विधानसभा मुख्यमंत्री बन कर ही लौटेंगी. हालांकि डीएमके विधानसभा में हंगामे के लिए जयललिता और उनके विधाय़कों को ही दोषी बताता रहा है लेकिन इस हंगामे के बाद से जयललिता के विरोध की धुरी करूणानिधि हो गए थे. एमजीआर की मौत के बाद उनके राजनीतिक विरासत के लिए जयललिता और उनकी पत्नी जानकी के बीच टक्कर हुई. जिसमें जनता ने जयललिता को चुना. 1991 में वो पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री चुनी गईं.
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