जन्मदिन विशेष: स्वामी विवेकानंद के 5 अनमोल वचन, जीवन में अपनाएंगे तो होंगे कामयाब!
मानव - देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव - देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं - निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है'
यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खडे हो जाओगे, तो तुम्हे सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढेगा. यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले 'अहं' ही नाश कर डालो.
'तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ. जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते'
'उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंज़िल प्राप्त न हो जाये'
मैं चाहता हूँ कि मेरे सब बच्चे, मैं जितना उन्नत बन सकता था, उससे सौगुना उन्न्त बनें. तुम लोगों में से प्रत्येक को महान शक्तिशाली बनना होगा- मैं कहता हूँ, अवश्य बनना होगा. आज्ञा-पालन, ध्येय के प्रति अनुराग तथा ध्येय को कार्यरूप में परिणत करने के लिए सदा प्रस्तुत रहना. इन तीनों के रहने पर कोई भी तुम्हे अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकता.
भारत को आध्यात्म से जोड़ने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी का आज ही के दिन जन्म हुआ था. आज हम आपको महापुरुष विवेकांद जी के कुछ अनमोल वचनों के बारे में बताने जा रहे हैं. आगे की स्लाइड्स में जानें स्वामी जी के पांच अनमोल वचन!