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ग्लोबल वार्मिंग: भारत में 1901 के बाद 2018 रहा छठा सबसे गरम साल, मौसम की मार से डेढ़ हजार की गयी जानें

एबीपी न्यूज, वेब डेस्क   |  17 Jan 2019 09:59 AM (IST)
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इस मौसम का सबसे बुरा प्रभाव उत्तर प्रदेश पर पड़ा. यहां इसके कारण सबसे ज्यादा 590 मौतें हुईं. मूसलाधार बारिश के कारण 158 लोगों की जानें गईं जबकि बाढ़ और चक्रवाती तूफान से 166 लोग मर गए.

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मौसम की मारक रूप के कारण कुल मौत में से लगभग आधी (688) मौतें बाढ़ के कारण हुई. इनमें केरल में बीते साल मूसलाधार बारिश के कारण आयी बाढ़ में 223 लोगों की जान गयी.

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पिछले साल तीन तूफानों ‘तितली’, ‘गज’ और ‘फेतई’ ने अरब सागर तक अपनी पहुंच बनाते हुये बंगाल की खाड़ी से होते हुये भारत के तटीय इलाकों में दस्तक दी. इनमें 110 लोग मारे गये.

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बारिश के क्षेत्रीय वितरण के लिहाज से मध्य भारत में दीर्घकालिक अनुमान की तुलना में सर्वाधिक 93 प्रतिशत बारिश हुयी, जबकि पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 76 प्रतिशत बारिश दर्ज की गयी.

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तापमान बढ़ोतरी के मामले में विभाग ने भारत में पिछले 100 सालों में औसत तापमान में 0.60 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का हवाला देते हुये कहा कि पिछली एक सदी के दौरान अधिकतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस का तीव्र इजाफा हुआ है.

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देश बारिश के मामले में पिछला साल सामान्य रहा और इस दौरान देश में औसत बारिश की मात्रा 85 प्रतिशत रही. इसमें उत्तर पश्चिम मानसून का योगदान 90.6 प्रतिशत रहा.

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मौसम विभाग ने साल 2018 को 1901 के बाद अब तक का छठा सबसे गरम साल घोषित किया है. मौसम विभाग के पिछले एक साल के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 2018 के दौरान चक्रवात और बिजली गिरने सहित मौसम की चरम परिस्थितियों के कारण लगभग डेढ़ हजार लोगों की मौत हुई थी. यहां जानें यह पूरी रिपोर्ट.

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने रिपोर्ट के हवाले से ट्वीट कर बताया कि पिछले साल देश में चक्रवात, बिजली गिरने, भीषण गर्मी, कड़ाके की ठंड और मूसलाधार बारिश जैसी मौसम की मार से 1428 लोगों की जानें गईं.

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न्यूनतम तापमान में वृद्धि की दर धीमी रहते हुये पिछले सौ साल में 0.20 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गयी.

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विभाग ने बुधवार को 2018 के मौसम के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर बताया कि पिछले साल औसत तापमान सामान्य से 0.41 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. विभाग के अनुसार 1901 के बाद औसत तापमान की अधिकता के लिहाज से 2016 सर्वाधिक गरम साल रहा. इसके बाद 2009, 2010, 2015 और 2017 सबसे गरम पांच साल रहे.

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