प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10 फरवरी को तीन दिवसीय फ्रांस यात्रा पर पहुंचे. यूरोपीय देश की उनकी ये यात्रा खास अहमियत रखती है. दोनों देश हाल के वर्षों में कई मुद्दों पर एक साथ काम करते आ रहे हैं, जिनमें से एक प्रमुख क्षेत्र है अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सहयोग. भारत और फ्रांस का पारंपरिक तौर पर काफी करीबी संबंध रहा है. साथ ही, दोनों देशों के बीच सामरिक संबंध भी रहा है, जिसमें कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग है. 

भारत और फ्रांस के सामरिक संबंधों के साल 2023 में 25 वर्ष पूरे हो गए. इसकी शुरुआत साल 1998 में हुई थी. दो साल पहले यानी 2023 में पीएम मोदी ने फ्रांस का आधिकारिक दौरा किया था, जहां पर फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (France National Day) के मौके पर उन्हें 'गेस्ट ऑफ ऑनर' दिया गया था. भारत और फ्रांस कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपसी सहयोग कर रहे हैं, जिनमें रक्षा और सुरक्षा, असैन्य परमाणु के मुद्दे, अंतरिक्ष और अन्य चीजें शामिल हैं. 

नई दिल्ली और पेरिस सामुद्रिक सुरक्षा, साइबर सिक्योरिटी, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा और सतत् विकास में भी एक दूसरे के रणनीतिक साझीदार हैं. पीएम मोदी के इस दौरे में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के तीसरे शिखर सम्मलेन की सह-अध्यक्षता की. इससे पहले, एआई का शिखर सम्मेलन साल 2023 में यूनाइटेड किंगडम में और 2024 में साउथ कोरिया में किया गया था.

निवेश पर जोर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की कंपनियों को आमंत्रित करते हुए उनसे कहा कि वे भारत की विकास गाथा का हिस्सा बन यहां के असीमित अवसरों पर विचार करे. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने फ्रांसीसी कंपनियों से कहा कि भारत में निवेश करने का ये बिल्कुल ‘‘सही समय’’ है. वे पेरिस में 14वें ‘भारत-फ्रांस सीईओ फोरम’ में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ शामिल हुए. इस दौरान अपने इस संबोधन में पीएम मोदी ने भारत-फ्रांस के बीच बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार, आर्थिक सहयोग और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को इससे मिले प्रोत्साहन का उल्लेख किया.

पीए मोदी ने कहा कि भारत स्थिर राजनीति, पूर्वानुमानित नीतिगत तंत्र के आधार पर एक पसंदीदा वैश्विक निवेश गंतव्य है. उन्होंने आगे कहा कि भारत आने का यह सही समय है. हर किसी की प्रगति भारत की प्रगति से जुड़ी हुई है. फ्रांसीसी उद्योग जगत से उन्होंने कहा कि इसका एक उदाहरण विमानन क्षेत्र में देखने को मिला, जब भारतीय कंपनियों ने विमानों के लिए बड़े ऑर्डर दिए और अब, जब हम 120 नए हवाई अड्डे खोलने जा रहे हैं, तो आप स्वयं भविष्य की संभावनाओं की कल्पना कर सकते हैं.

‘2047 रोडमैप’ की रूपरेखा

पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान मैक्रों के साथ भारत-फ्रांस सामरिक साझेदारी '2047 रोडपमैप' पर प्रगति की भी समीक्षा की गई. 2023 में पिछली फ्रांस यात्रा के दौरान मैक्रों के साथ पीएम मोदी ने एक रोडमैप तैयार किया था, जिसका नाम दिया गया था '2024 रोडमैप'. इस रोडमैप में अगले 25 साल की रुपरेखा तय की गई थी, जब भारत की आजादी और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 100 साल पूरे हो जाएंगे.

पीएम मोदी ने कहा कि मेरी पिछली यात्रा के दौरान हमने अपनी साझेदारी के लिए ‘2047 रोडमैप’ रूपरेखा तैयार की थी. इसके बाद दोनों देश क्षेत्र में व्यापक तरीके से आपस में सहयोग कर रहे हैं.’’ उन्होंने एयरोस्पेस, बंदरगाह, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, डेयरी, रसायन और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों की ओर संकेत किया, जहां भारत-फ्रांस सहयोग पहले से ही जारी है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आप पिछले दशक में भारत में हुए बदलावों से भली-भांति परिचित हैं. हमने एक स्थिर राजनीति और पूर्वानुमानित नीतियों की मदद से अच्छा माहौल तैयार किया है. सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मार्ग पर चलते हुए आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. ये दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और  जल्द भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. भारत के कुशल और प्रतिभाशाली युवा व नवाचार वैश्विक मंच पर हमारी पहचान है.

वीर सावरकर को किया याद

पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को संयुक्त रूप से मारसेई शहर में भारत के नए वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया. वाणिज्य दूतावास के उद्घाटन से पहले, मोदी और मैक्रों ने ऐतिहासिक माजारग्वेज कब्रिस्तान का दौरा किया और पहले विश्व युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. 

मारसेई पहुंचते ही पीएम मोदी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस के इस शहर की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाया, खासकर वीर सावरकर के बचकर भागने की कोशिश में फ्रांस के कार्यकर्ताओं की तरफ से की गई मदद पर कृतज्ञता व्यक्त की, जिन्होंने इस संघर्ष के दौरान उनका साथ दिया था.   

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने कहा कि मारसेई की धरती पर पहुंच चुका हूं. भारत की आजादी में ये शहर विशेष मायने रखता है. ये वही शहर है जहां पर महान वीर सावरकर ने अंग्रेजों से बचने की कोशिश की थी. उन्होंने आगे लिखा कि वे उस वक्त के मारसेई की जनता और फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने ये मांग की थी कि किसी भी कीमत पर सावरकर को ब्रिटिश कस्टडी में नहीं सौंपा जाना चाहिए. वीर सावरकर की बहादुरी आने वाली पीढ़ियों के लिए लगातार प्रेरणास्त्रोत है.

अमृत महोत्सव सरकार की वेबसाइट पर सावरकर के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा गया है कि नासिक षडयंत्र केस में साल 1910 में लंदन में वीर सावरकर को गिरफ्तार किया गया था. जब ट्रायल के लिए उन्हें जहाज से भारत ले जाया जा रहा था, उस वक्त सावरकर समुद्र में कूद गए थे और फायरिंग से बचते हुए तैरकर फ्रांस के तट पर पहुंच गए थे.

इस वेबसाइट में आगे कहा गया है कि ब्रिटिश पुलिस की तरफ से मारसेई में गिरफ्तार किया गया था. फ्रांस की धरती पर हुई इस गिरफ्तारी के विरोध में फ्रांस की सरकार हेग इंटरनेशनल कोर्ट चली गई थी. इसके बाद वीर सावरकर और अन्य भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को दुनियाभर में चर्चा हुई थी.