चंद्र मिशन और सूर्य मिशन के बाद इसरो ने नए साल के पहले ही दिन इतिहास रचते हुए एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया. इससे ब्लैक होल्स और सुपरनोवा जैसी सुदूर चीजों के स्टडी के लिए लॉन्च किया गया. ये भारत का पहले और साल 2021 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से लॉन्च इमेजिंग एक्स-रे पोलरिमेट्री एक्सप्लोरर के बाद दुनिया का दूसरा पोलरिमेट्री मिशन है. हालांकि, पहले इसे साल 2023 के दिसंबर के महीन में लॉन्च किया जाना था, लेकिन बाद में इसके लॉन्चिंग का समय बदला गया. 


इसरो के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजर इसलिए टिकी हुई थी क्योंकि एक्सपोसैट एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लाने और ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का स्टडी करने में हेल्प करेगा. ये ब्लैक होल जैसे आकाशीय पिंडों के रहस्यों का अध्ययन करेगा. इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) ने अपने C58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. 


इसरो ने रचा इतिहास


प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी. इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार तालियां बजायीं. इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है. इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल है.



एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक ​​​​उपकरण के रूप में कार्य करता है. मिशन नियंत्रण केंद्र से बाहर निकलते वक्त इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ‘‘आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं. एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ. पीएसएलवी-सी58 ने प्रमुख उपग्रह एक्सपोसैट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘इस बिंदु से पीएसएलवी के चौथे चरण की कक्षा सिमटकर निचली कक्षा में बदल जाएगी जहां पीएसएलवी का ऊपरी चरण जिसे ‘पोअम’ बताया गया है वह पेलोड के साथ प्रयोग करेगा और उसमें थोड़ा वक्त लगेगा.’’ सोमनाथ अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं. 



XPoSat मिशन पर दुनिया की नजर


उन्होंने कहा, ‘‘यह भी बता दूं कि उपग्रह को जिस कक्षा में स्थापित किया गया है वह उत्कृष्ट कक्षा है और लक्षित कक्षा 650 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा से केवल तीन किलोमीटर दूर है और झुकाव 001 डिग्री है जो बहुत उत्कृष्ट कक्षीय स्थितियों में से एक है। दूसरी घोषणा यह है कि उपग्रह के सौर पैनल को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है.’’


मिशन निदेशक जयकुमार एम. ने कहा, ‘‘मुझे पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता का जश्न मनाने के लिए बेहद खुशी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो चीजें इस मिशन को और दिलचस्प बनाती हैं उनमें नयी प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें पोअम 3 प्रयोग में दिखाया जा रहा है, हमारे पास सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा वाली बैटरी, रेडियो उपग्रह सेवा...है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘आज का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण अन्य पक्षकारों के साथ इसरो टीम के पूरे समूह द्वारा किए गए जबरदस्त प्रयासों से संभव हुआ है. यह मिशन इसरो के विभिन्न केंद्रों के विभिन्न दलों द्वारा किए गए प्रयासों के बिना संभव नहीं हो पाता.’’