कई दशकों तक विदेशों से रक्षा प्रणाली खरीदने वाला भारत अब उसका निर्यातक बन गया है. भारत के लिए एक तरह से ये पल गौरवान्वित करने वाला है. भारत ने हाल में ही फिलीपींस को रक्षा प्रणाली के तौर पर ब्रह्मोस मिसाइल की खेप सौंपी है. ब्रह्मोस मिसाइल के लिए साल 2022 में 375 मिलियन यूएस डॅालर से भारत के साथ फिलीपींस का करार हुआ था. भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए फिलीपींस को एक शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस सौंप दी है. इससे भारत की क्षमता पूरे विश्व में काफी मजबूत होगी. इस कदम से भारत रक्षा प्रणाली का भी निर्यातक बन गया है.


ब्रह्मोस मिसाइल एक प्रकार की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत और रूस की संयुक्त उत्पादन टीम ने विकसित किया है. इसकी गति मानक से 3-4 गुना अधिक है और ये अप्रत्याशित तरीके से समुद्री, भूमि और हवाई सर्विलेंस के लिए एक प्रभावी विकल्प प्रदान करता है. इस कदम से भारत-फिलीपींस के बीच सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग में एक नया संबंध बनते दिख रहा है. इसके साथ में ही भारत और फिलीपींस के बीच संबंध न केवल सुरक्षा क्षेत्र में मजबूत होंगे, बल्कि ये दोनों देशों के गहरी आर्थिक और राजनीतिक बांधन को भी बढ़ावा देगा.


साथ ही भारत को कमजोर समझने वाले देश को एक कड़ा संदेश भी गया है कि अब ये नया भारत है. दोनों देशों के बीच हुए सौदे के तहत भारतीय वायु सेना के ताकतवर सी-17 ग्लोबमास्टर ने पहली खेप लेकर हिंडन एयरफोर्स से उड़ान भरी. भारत का विमान फिलीपींस वायु सेना के क्लार्क एयरबेस पर उतर चुका है. जहां रक्षा प्रणाली पहुंच गया है. भारत की रक्षा निर्यात की दिशा में ये कदम बड़ी सफलता का डील माना जा रहा है. 


भारतीय रक्षा प्रणाली पर फिलीपींस को भरोसा 


ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड यानी की बीएपीएल 2022 के जनवरी माह फिलीपींस गणराज्य के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ एक औपचारिक अनुबंध किया था. जिसके तहत भारत से सुपरसोनिक मिसाइल खरीदने के लिए 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया गया था. भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम के संयुक्त प्रयास से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को विकसित किया गया है.


भारत के साथ मिसाइल का सौदा पूरा करने वाले फिलिपींस दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ दशकों से चल रहे क्षेत्रीय विवादों के साथ-साथ सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है. इसी क्रम में फिलीपींस अपने सेना को मजबूत कर रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस अब अपनी सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत से उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों की एक बैच भी खरीदेगा.


स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर यानी की एएलएच कम भार वर्ग के साथ जुड़वां इंजन और बहु-भूमिका और बहु-मिशन नई पीढ़ी का एक हेलीकॉप्टर है. इसे सैन्य अभियानों के लिए एक प्रभावी प्लेटफार्म भी माना जा रहा है. हाल में ही भारत ने 25 हेलिकॉप्टर लिया है. जिसमें कुछ कश्मीर और सियाचीन के क्षेत्र में और कुछ को समुद्री इलाकों के लिए तैनात किया गया है.


भारत के आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी खरीदने के लिए अब फिलीपींस ने रुचि दिखाई है. देखा जाए तो भारत ने अपने दोस्त फिलीपींस को ये ब्रह्मोस मिसाइल तब दिया है जब चीन के साथ उसका तनाव अपने चरम पर है. अमेरिका के साथ सबसे महंगा युद्धाभ्यास फिलीपींस की नौसेना कर रही है. दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए फिलीपींस के लिए ये मिसाइल काफी मददगार साबित होगा.


चीन से परेशान है फिलीपीं


दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में फिलीपींस, भारत का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार है. पिछले कुछ सालों में खासकर समुद्री क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधों में तेजी आई है. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ यानी की आसियान का भी फिलीपींस एक प्रमुख सदस्य है. फिलीपींस का भारत के साथ संबंधों में बड़ा विस्तार भी हुआ है.भारत का ब्रह्मास्‍त्र ब्रह्मोस मिसाइल को कहा जाता है. जिसको भारत और रूस ने संयुक्त रूप से एक दूसरे के सहयोग से बनाया है. दुनिया की सबसे तेज हमला करने वाली क्रूज मिसाइल में ब्रह्मोस का नाम शामिल है. ब्रह्मोस मिसाइल का 85 फीसदी हिस्‍सा अब भारत में ही बनाया जा रहा है. यह भारत के आत्‍मनिर्भरता और स्‍वदेशी रक्षा उत्‍पादन को दर्शाने का काम करता है.


वर्तमान में भारत ने दुनिया के हथियार बाजार यानी की रक्षा प्रणाली में एक बड़ी छाप छोड़ दी है. भारत का पड़ोसी देश चीन से पहले ही तनाव है. फिलीपींस से भी चीन का तनाव है. इसलिए अब भारत और फिलीपींस दोनों मिलकर चीन को रोकने का काम करने की प्लानिंग कर रहे हैं. फिलीपींस की मदद के लिए अमेरिका ने भी अपने एयर डिफेंस को तैनात कर के रखा है. अब  तो अमेरिका वहां पर सैन्य अड्डा बनाने की भी तैयारी में है. दरअसल चीन आसपास के आइलैंड वाले देशों को धमकाते रहता है. चीन ने भारत, नेपाल, के साथ साथ फिलीपींस को परेशान किया है. चीन ताइवान के साथ भी आक्रामक रहा है.


क्या है ब्रह्मोस मिसाइल 


ब्रह्मोस एक मिसाइल है. जिसका नामांकरण भारत के ब्रह्मपुत्र और रूस के मोस्कोवा नदी के नाम को मिलाकर रखा गया . इस मिसाइल को भारत और रूस के बीच एक संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया. जिसे 1998 में भारत देश में बनाया जाने लगा. दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस है, जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. ये मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक गति से उड़ान भर सकती है. जिससे दुश्मन के लिए इससे बचना मुश्किल हो जाता है.


ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 300 से 500 किमी तक की है. ब्रह्मोस हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है. इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है. ये मिसाइल  जलसेना और वायुसेना और थलसेना तीनों के काम आ सकती है. यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती. यह रडार ही नहीं ब्लकि किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में भी सक्षम है. इसको मार गिराना लगभग असम्भव है.अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार ब्रह्मोस  कर सकती है, ब्रह्मोस की प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है. आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने टारगेट को तहस नहस करने में सक्षम है.