India At 2047: भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा है. वैश्विक स्तर पर ऊँचे टैरिफ, आर्थिक मंदी की आशंका और भू-राजनीतिक दबावों के बावजूद भारत की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार बनी हुई है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक कॉन्क्लेव में कहा था कि वैश्विक उथल-पुथल को सहने की भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत क्षमता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो हर हाल में जीडीपी वृद्धि दर को औसतन 8 प्रतिशत या उससे ऊपर बनाए रखना होगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के सामने दोहरी चुनौती है—एक ओर 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल करना और दूसरी ओर आत्मनिर्भरता को मजबूत करना. इसी तरह, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी यह दोहरा चुके हैं कि भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता रखता है.
भारत की अर्थव्यवस्था पर बढ़ता वैश्विक भरोसा
हाल में आई आरबीआई, एसबीआई और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) की रिपोर्ट्स ने भारत की आर्थिक संभावनाओं को और मजबूत किया है. ADB ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. वहीं, आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ 6.5 से 7.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है. आरबीआई ने 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत किया है. यदि यह रफ्तार बनी रहती है, तो 2026 तक भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर के स्तर को पार कर सकती है.
अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का भरोसा भी लगातार बढ़ रहा है. आईएमएफ के अनुसार 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि विश्व बैंक का कहना है कि 2025 से 2027 के बीच भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा. कुछ रिपोर्ट्स में 2026 की दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि 7.5 प्रतिशत या उससे अधिक रहने की संभावना जताई गई है.
2047 तक विकसित भारत बनने की शर्तें
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो उसे लगातार 8 से 9 प्रतिशत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि बनाए रखनी होगी. इसके साथ ही प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाकर करीब 18,000 डॉलर प्रति वर्ष तक ले जाना होगा. नैसकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत 8–10 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि बनाए रखता है, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
भारत के पास युवा आबादी एक बड़ी ताकत है. कामकाजी उम्र की आबादी, डिजिटल इंडिया जैसी पहलें और टेक्नोलॉजी का तेजी से विस्तार देश की विकास गति को मजबूती दे रहे हैं.
इन सेक्टरों की होगी सबसे अहम भूमिका
2047 के लक्ष्य को हासिल करने में कई सेक्टर निर्णायक भूमिका निभाएंगे, जिनमें प्रमुख हैं—
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- ऑटोमोबाइल
- ऊर्जा (विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा)
- सेमीकंडक्टर
- रक्षा क्षेत्र
- सेवा क्षेत्र
- फार्मा
- इलेक्ट्रिक वाहन
जीएसटी सुधार, मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त गति दी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
इस विषय पर आईआईएमसी के प्रोफेसर शिवाजी सरकार का कहना है कि फिलहाल भारत की जीडीपी ग्रोथ दर करीब 6 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है, हालांकि इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है. उन्होंने बताया कि इससे पहले यह दर साढ़े पांच प्रतिशत के करीब भी पहुंच चुकी है. उनके अनुसार, जीडीपी ग्रोथ कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें मौसम, वैश्विक परिस्थितियां और घरेलू आर्थिक हालात शामिल हैं, इसलिए इसे स्थिर बनाए रखना आसान नहीं होता.
प्रोफेसर शिवाजी सरकार ने यह भी कहा कि रुपये में गिरावट का असर घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, जिसका प्रभाव टेक्नोलॉजी से लेकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तक देखने को मिलता है. ऐसे में एक संतुलित और स्थिर विकास दर बेहद जरूरी है, ताकि विविधताओं से भरा देश अपने दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों को हासिल कर सके. उन्होंने कहा कि यदि भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति बनानी है, तो उसे अधिक ऊंची और लगातार बनी रहने वाली विकास दर की जरूरत होगी.
उन्होंने आगे कहा कि 2047 तक वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बड़े बदलाव आ चुके होंगे और इस समय दुनिया भर में विकास दर में गिरावट का रुझान देखने को मिल रहा है. ऐसे माहौल में यदि भारत 12 प्रतिशत की विकास दर को लंबे समय तक बनाए रखने में सफल रहता है, तो 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना संभव है.
मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी से बदलेगा भारत का चेहरा
भारत में सेमीकंडक्टर की मांग 2022 के 33 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 117 अरब डॉलर होने का अनुमान है. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में जबरदस्त वृद्धि हुई है—आज भारत में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत स्मार्टफोन देश में ही बनाए जा रहे हैं, जबकि एक दशक पहले यह आंकड़ा केवल 26 प्रतिशत था.
वैश्विक तनावों के बीच रक्षा क्षेत्र भी रणनीतिक रूप से बेहद अहम बन गया है. पिछले 10 वर्षों में रक्षा बजट दोगुना होकर 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा क्षेत्र के 92 प्रतिशत अनुबंध घरेलू उद्योगों को मिले हैं, जिससे आयात पर निर्भरता घटी है.
ग्रीन एनर्जी और ईवी सेक्टर से मिलेगी नई रफ्तार
भारत ने 2024-25 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में रिकॉर्ड 29.5 गीगावॉट की वृद्धि दर्ज की, जिससे कुल क्षमता 220 गीगावॉट तक पहुंच गई है. आने वाले वर्षों में भारत को हर साल 50–70 गीगावॉट घंटे की बैटरी क्षमता की आवश्यकता होगी, जिससे सेल निर्माण, कच्चा माल और रिसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों में बड़े अवसर पैदा होंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री भी तेज़ी से बढ़ी है—2016 में जहां यह संख्या करीब 50,000 थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 20 लाख तक पहुंच गई.
सरकारी निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस
सरकार की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2024 से 2026 के बीच सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 30–33 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. वित्त वर्ष 2024 में पूंजीगत खर्च में 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि 2025 के लिए कैपेक्स बजट 11.1 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. 2026 में इसके और बढ़ने की उम्मीद है.
मैन्युफैक्चरिंग बनेगा ग्लोबल पावर हाउस
विशेषज्ञों का मानना है कि विकसित भारत बनने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की भूमिका सबसे अहम होगी. 2047 तक इसका योगदान जीडीपी में 17 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) और वेंचर कैपिटल फर्म Z47 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मैन्युफैक्चरिंग रणनीति अब केवल असेंबली तक सीमित न रहकर टेक्नोलॉजी-आधारित विकास की ओर बढ़ रही है.