वैज्ञानिकों ने एक 'तीसरे जीन' की खोज की है, जो पार्किंसन रोग का कारण है. एक नए शोध से यह जानकारी मिली है. इस शोध से पता चला है कि टीएमईएम230 नामक जीन में उत्परिवर्तन से पार्किंसन रोग होता है. इस रोग में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में विकार पैदा होता है, जिससे व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं. इस रोग में अक्सर झटके भी आते हैं. प्रमुख शोधार्थी अमेरिका के नार्थवेस्टर्न युनिवर्सिटी के प्रोफेसर टीपू सिद्दिकी ने बताया, "इस अध्ययन से पता चलता है कि इस रोग का कारण जीन में उत्परिवर्तन है." इस शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि यह जीन एक प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो न्यूरॉन्स में न्यूरोट्रांसमीटर डोपेमाइन के पैकेजिंग में शामिल है. पार्किंसन रोग में डोपोमाइन का उत्पादन करनेवाले न्यूरॉन्स की संख्या घट जाती है. जिन लोगों के जीन में यह बदलाव देखा गया, उनमें कंपकपाहट, धीमी गतिविधियां और अकड़न जैसे लक्षण देखे गए. उनमें डोपेमाइन न्यूरॉन की कमी और जीवित बचे न्यूरॉन में प्रोटीन की असामान्य संचय देखा गया. सिद्दिकी कहते हैं, "पार्किं सन का जिम्मेदार यह खास जीन केवल उत्तरी अमेरिका की आबादी के लिए ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि दुनिया के विभिन्न नस्लों और पर्यावरणीय स्थितियों में भी पाया जाता है." यह शोध काफी लंबा लगभग 20 सालों तक चला. शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान एक परिवार के 65 सदस्यों के जीन का विश्लेषण किया, जिनमें से 13 सदस्य पार्किं सन रोग से पीड़ित थे. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वे इस जीन में बदलाव का एक सामान्य कारण ढूंढ़ निकालेंगे, जिससे इसके प्रसार का विश्लेषण किया जा सके.