देश में बीमार पड़ने की वजह से बच्चे आम तौर पर साल में पांच दिन स्कूल नहीं जा पाते हैं. यह बात यहां जारी हुई एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कही गई. बच्चों में रोग-प्रतिरोधी क्षमता पर बहु-देशीय मार्केट रिसर्च कंपनी आईएमआरबी ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, रांची, पटना और भुवनेश्वर में सात से 14 वर्ष के बच्चों के बीच एक सर्वेक्षण किया. सवक्ष्रेण का प्रथम लक्ष्य बढ़ते बच्चों में रोग-प्रतिरोधी क्षमता पता लगाना था. सर्वेक्षण 1,500 माताओं के बीच किया गया. सर्वेक्षण में 82 प्रतिशत माताओं ने कहा कि कमजोर प्रतिरोधी क्षमता आगे चलकर बच्चों पर बुरा असर डालती है. 85 प्रतिशत माताएं मानती हैं कि कमजोर प्रतिरोधी क्षमता वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करती है. अधिकांश (77 प्रतिशत) माताएं मानती हैं कि उनके बच्चे की प्रतिरोधी क्षमता उसके साथियों की तुलना में बेहतर है. अधिकांश (54 प्रतिशत) माताएं मानती हैं कि उनका बच्चा आसानी से बीमार नहीं पड़ता है. सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 30 प्रतिशत बच्चे बीमारी के कारण पांच दिनों से अधिक स्कूल नहीं जा पाते हैं. 13 प्रतिशत बच्चे बीमारी के चलते परीक्षा में नहीं बैठ सके. अधिकांश (59 प्रतिशत) कामकाजी माताएं अपने बच्चे की बीमारी के चलते कम से कम एक दिन अपने ऑफिस नहीं जा सकीं. 30 प्रतिशत माताएं माह में कम से कम एक बार बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाती हैं. माताओं ने बताया कि वे औसतन 850 रुपये प्रतिमाह पीडियाट्रिक दवाइयों पर खर्च करती हैं. माताओं ने बताया कि उनका बच्चा साल में औसतन चार बार और साल में 11 दिन बीमार पड़ता है. इंडियन डायटिक एसोसिएशन के बेंगलुरू चैप्टर की भूतपूर्व अध्यक्ष प्रियंका रोहतगी के मुताबिक, "संतुलित आहार की कमी एवं लो-कैलोरी खाद्य पदार्थ अप्रत्यक्ष भूख या माइक्रो-न्यूट्रिएंट डेफिशिएंसी के मुख्य कारण हैं. हम सभी में अलग अलग प्रतिरोधी क्षमता होती है. इसीलिए एक व्यक्ति शारीरिक गतिविधि न करने, अनियमित आहार लेने एवं सुस्त होने के बावजूद स्वस्थ एवं सेहतमंद हो सकता है, जबकि दूसरा व्यक्ति काफी सक्रिय होने के बावजूद डॉक्टरों के चक्कर लगा सकता है." दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर की क्षेत्रीय प्रमुख रितिका समद्धर ने बताया, "दवाई लेने से प्रतिरोधी शक्ति कम हो जाती है और शरीर धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है. कुछ दवाइयां जरूरी हो सकती हैं, लेकिन जितना ज्यादा हो सके, बच्चे को दवाइयों से दूर रखने की कोशिश कीजिए." अपोलो ग्लेन ईगल्स अस्पताल, कोलकाता की बबिता जी. हजारिका ने कहा, "संतुलित आहार की कमी, गैरफोर्टिफाईड फूड, अधिक प्रोसेस्ड फूड जैसे पॉलिश्ड चावल, लम्बे समय तक एक ही तरह का आहार जैसे केवल मक्का आदि लेने से शरीर में आवश्यक अमीनो अम्ल जैसे लाईसीन की कमी हो जाती है."