टीबी संक्रमण के नए तरीके की पहचान हुई
ABP News Bureau | 23 Jul 2016 04:13 AM (IST)
शोधकर्ताओं ने शरीर को संक्रमित करने के लिए तपेदिक (टीबी) के जीवाणुओं द्वारा अपनाए जाने वाले एक नए तरीके की खोज की है, जिससे इस बीमारी के इलाज में काफी मदद मिल सकती है. शोधकर्ताओं के इस दल में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है. पहले समझा जाता था कि माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी) सांस के जरिए फैलता है. लेकिन हालिया शोध से पता चला है कि माइक्रोफोल्ड सेल (एम-सेल) ट्रांसलोकेशन एक नया तरीका है, जिससे एमटीबी शरीर के अंदर प्रवेश करता है. संक्रमण के इस तरीके के बारे में पहले किसी को पता नहीं था. द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउदर्न मेडिकल सेंटर में पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थी विद्या नायर ऑनलाइन कोशिका रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की प्रमुख हैं. यूटी साउदवेस्टर्न में इंटरनल मेडिसिन एंड माइक्रोबायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर माइकल शिलोह कहते हैं, "संक्रमण का नया तरीका यह है कि एमटीबी जीवाणु सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचने के बाद फेफड़े के अंत तक पहुंच जाते हैं, जिसके बाद उसे मैक्रोफेज निगल जाते हैं." मैक्रोफेज सफेद रक्त कणिका है, जो हमारे शरीर में होने वाले संक्रमण से लड़ती है. शिलोह ने कहा, "हमारा अध्ययन बताता है कि एक बार जब एमटीबी जीवाणु सांस के जरिए लिया जाता है, तो वह एम-कोशिकाओं के माध्यम से शरीर में सीधे प्रवेश कर सकता है, जिसके बाद वह लिंफ नोड व शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच सकता है." एम-कोशिकाएं एक विशेष प्रकार की एपिथिलियल कोशिकाएं हैं, जो म्यूकोसल सतह से कणों को कोशिकाओं के अंदर पहुंचाते हैं. हालांकि आगे भी अभी शोध की जरूरत है. उपचार की जरूरतों के लिए शोधकर्ताओं का दल इस तरह के दवाओं के विकास में लगी है, जिससे एमटीबी को एम-सेल में प्रवेश करने से रोका जा सके. घातक रोगों में टीबी फेफड़े की एक प्रमुख बीमारी है. इससे सालाना 80 लाख लोग संक्रमित होते है. इतना ही नहीं, करीब 15 लाख लोग हर साल इससे अपनी जान गंवा देते हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है.