नई दिल्ली: दिल्ली और आसपास के शहरों को साफ पानी में पनपने वाले मच्छरों ने डराया हुआ है. डेंगू के बाद चिकनगुनिया का खौफ फैला हुआ है. दिल्ली में डेंगू के 487 मामले सामने आए हैं. वहीं चिकनगुनिया के 432 मरीजों की पहचान हुई है. आइए जानें, डेंगू और चिकनगुनिया के बारे में. चिकनगुनिया और डेंगू बुखार-   इन दिनों डेंगू और चिकनगुनिया दोनों के ही मामलों में काफी वृद्धि‍ हुई है. ये तो हम आपको बता ही चुके हैं कि डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही बुखार एडिस एजिप्ट मच्छर के काटने से फैलता है. दोनों ही बीमारियों में संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे तक प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं फैलता, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से यह तेजी से फैलता है. डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर दिन में काटते हैं. आपको बता दें, चिकनगुनिया तथा डेंगू बुखार के बीच अंतर करना कठिन हो सकता है लेकिन हम आपको कुछ बारीक फर्क बता रहे हैं. मच्छर आता कहां से है? चिकनगुनिया और डेंगू दोनों बीमारियां एक ही वायरस से होती हैं. इस वायरस वाला मच्छर साफ पानी में पनपता है जो आपके कूलर या गमले में कहीं भी हो सकता है. बरसात की वजह से वातावरण में जो नमी होती है उससे चिकुनगुनिया और डेंगू के मच्छर और ज्यादा पनपते हैं. चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण- डॉ रवि मलिक का कहना है कि चिकुनगुनिया और डेंगू के लक्षण तकरीबन एक जैसे ही हैं. जैसे की त्वचा पर रैशेज पड़ना, बुखार आना और कमजोरी. लेकिन डेंगू में जहाँ प्लेटलेट्स घट जाते हैं वहीँ चिकुनगुनिया में मसल्स और बोन में पेन बहुत ज्यादा होता है. चिकनगुनिया और डेंगू से कैसे बचें-
  • चिकनगुनिया और डेंगू का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, ख़ासतौर से सुबह और दोपहर में. इसलिए इन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज़्यादा हो.
  • अपनी शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाले उत्पाद या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें.
  • पेय पदार्थ को ज़्यादा से ज़्यादा अपने आहार में शामिल करें.
  • मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है.
  • बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पेन किलर ले सकते हैं वो भी डॉक्टर की सलाह पर लें.
  • घर पर आराम करें और अपने नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें.
  • मच्छरों से बचें- घरों में रखे गमलों और मनी प्लांट के पौधे से पानी को बदलते रहना चाहिए. घर में रखे पानी से भरे सजावटी सामान से डेंगू के मच्छर पैदा होते. कूलर और वॉथरूम में बाल्टी में पानी नहीं जमने देना चाहिए.
  • शरीर को ढक कर रखें.
चिकनगुनिया और डेंगू की पहचान- चिकनगुनिया का पता ब्लड टेस्ट और कुछ ज़रूरी चिकित्सा परिक्षाओं से किया जा सकता है, जिसमें सेरोलॉजिकल और विरोलॉजिकल टेस्ट शामिल हैं. वहीं एनएस 1 टेस्ट डेंगू के लक्षण सामने आने पर शुरूआती पांच दिनों के अंदर किया जाना चाहिए. अन्य समस्याएं मौसमी बुखार - हाल के कुछ दिनों में वायरल फीवर के कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिससे लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है. वायरल फीवर के कुछ लक्षण ऐसे हैं जिसकी पहचान होने से आप इससे बच सकते हैं. जैसे- बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान बढ़ना, खांसी और जुकाम होना, सिर में दर्द होना, स्किन पर रैशेस होना, आंखों में परेशानी होना. जापानी इंफेलाइटिस - डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के बाद अब भारत में तेजी से फैल रहा है एक और वायरस 'जापानी इंफेलाइटिस'. जेई (जापानी इंफेलाइटिस) एशिया में मस्तिष्क ज्वर का प्रमुख कारण है. हालांकि इस बुखार के कम तीव्र मामलों में किसी अन्य बुखार की तरह की सिरदर्द होता है. लेकिन इसका प्रभाव बढ़ने पर मरीज बेहोश हो जाता है, गरदन की अकड़न, कांपना, लकवा जैसी परेशानियां भी पैदा हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस बीमारी में 20 से 30 फीसदी मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. यहां तक कि इस बीमारी के इलाज के बावजूद तंत्रिका तंत्र स्थायी रूप से खराब हो जाता है. इसका असर सबसे अधिक बच्चों में देखने को मिलता है और करीब 30 से 50 फीसदी बच्चे बीमारी के उबरने के बाद चलने-फिरने में परेशानी होती है और वे संज्ञानात्मक विकलांगता से पीड़ित हो जाते हैं. जेई बीमारी विषमय वायरस से पैदा होता है.जेई का वायरस मुख्य रूप से धान के खेतों में पनपता है या फिर ये नए ठिकाने भी ढूंढ़ लेते हैं. इस प्रजाति के कई उपसमूह यमुना नदी के आसपास भी पनपते हैं, जहां वे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं.