सावधान! लंबे समय से खा रहे हैं एंटीबायोटिक्सि तो पहले ये खबर पढ़ें
एजेंसी | 21 May 2016 04:09 AM (IST)
लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन मस्तिष्क पर गंभीर असर डाल सकता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है, जिसमें पाया गया है कि मस्तिष्क को तेज रखने के लिए आंत में स्वस्थ जीवाणुओं की उपस्थिति आवश्यक है. शोध के मुताबिक, एक विशेष प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका जीवाणुओं व मस्तिष्क के बीच मध्यस्थता का काम करती है और यह निष्कर्ष मानसिक बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है. आंत तथा मस्तिष्क हॉर्मोन, चयापचय उत्पाद तथा सीधा तंत्रिका संपर्क के सहारे एक-दूसरे के साथ संवाद कायम करते हैं. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एंटीबायोटिक के सहारे चूहे की आंत के माइक्रोबायोम (आंतों में मौजूद जीवाणु) को खत्म कर दिया. एंटीबायोटिक इलाज न पाने वाले चूहों की तुलना में इलाज पाने वाले चूहों के मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस में बेहद कम संख्या में नई मस्तिष्क कोशिकाओं (स्मृति के लिए महत्वपूर्ण) का निर्माण हुआ. कम कोशिकाओं के निर्माण से इन चूहों की स्मृति में भी दोष पाया गया. साथ ही शोधकर्ताओं ने इन चूहों में विशेष प्रतिरक्षा कोशिकाओं -एलवाई6सी (एचआई) मोनोसाइट- की संख्या में भी कमी दर्ज की. जब इस अध्ययन को मानवों पर आजमाया गया, तो यह बात सामने नहीं आई कि सभी तरह के एंटीबायोटिक्स के सेवन से मस्तिष्क पर असर पड़ता है. जर्मनी के बर्लिन में मैक्स डेलब्रक सेंटर फॉर मोल्येकूलर मेडिसिन में एक शोधकर्ता सुसेन वुल्फ ने कहा, "यह संभव है. एंटीबायोटिक्स के लंबे समय तक इस्तेमाल से इसी तरह का प्रभाव सामने आ सकता है." यह निष्कर्ष पत्रिका 'सेल रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ है.