Aligarh Temple Slogan: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हाल ही में हुई एक घटना ने धार्मिक भावनाओं के दुरुपयोग को लेकर बहस छेड़ दिया है. दरअसल यहां पर इलाके के कई मंदिरों पर 'आई लव मुहम्मद' लिखकर स्प्रे पेंट कर दिया गया. इसके बाद काफी बड़ा हंगामा हुआ. पुलिस ने इसमें शामिल दोषियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इसी बीच एक सवाल यह उठता है कि मंदिरों और बाकी पूजा स्थलों पर धार्मिक नारे लिखने के लिए भारतीय कानून के अंतर्गत क्या सजा दी जाती है. आइए जानते हैं.
भारतीय न्याय संहिता के तहत कानूनी कार्रवाई
पूजा स्थलों पर धार्मिक नारे लिखना या फिर प्रदर्शित करना भारतीय न्याय संहिता की खास धाराओं के अंतर्गत आते हैं. बड़ा फैसला तब लिया जाता है जब ऐसी हरकतें आपत्तिजनक या फिर अशांति भड़काने के इरादे से की गई हों.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 299
भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 के तहत किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के उद्देश्य से जानबूझकर किया गया कोई भी काम दंडनीय साबित होता है. इसमें लिखित या मौखिक शब्द, संकेत या फिर दृश्य चित्रण शामिल है. इसके तहत 3 साल तक की कैद, जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 196
इस धारा के अंदर भाषण, लेखन या सोशल मीडिया जैसे इलेक्ट्रॉनिक जरिए से धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय या फिर जाति आधारित समूहों के बीच नफरत को भड़काने वाले काम करने पर दंड देने का प्रावधान है. इस धारा के अंतर्गत धार्मिक स्थलों के अंदर या फिर धार्मिक समारोह के दौरान की गई ऐसी हरकतों पर कड़ी सजा दी जा सकती है. यह सजा 5 साल तक की कैद भी हो सकती है.
इरादे और सार्वजनिक व्यवस्था की भूमिका
ऐसे मामलों में किस इरादे से यह काम किया गया, यह एक बड़ी भूमिका निभाता है. यदि अधिकारियों द्वारा यह तय किया जाता है कि इस तरह का काम जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने या फिर किसी धर्म का अपमान करने के लिए किया गया है तो कठोर आरोप लगाए जा सकते हैं. इतना ही नहीं बल्कि यदि किसी काम से सार्वजनिक अव्यवस्था फैलती है या फिर शांति को खतरा होता है तो पुलिस सार्वजनिक उपद्रव या समूह के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित कई और धाराएं भी लगा सकती है.
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