विज्ञान के लिए साल 2023 कमाल का साबित हुआ. इस साल दुनिया को विज्ञान ने कई ऐसी चीजें दीं, जिससे इंसान अब तक अनजान थे. अंतरिक्ष से लेकर मेडिकस साइंस तक में विज्ञान को कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई हैं. चलिए आपको अब एक-एक करके विज्ञान से जुड़ी बड़ी खबरों के बारे में बताते हैं.


चांद का साउथ पोल छू लिया


चांद पर इंसान साल 2023 से पहले भी कई बार जा चुका है. लेकिन हर बार इंसान चांद के सिर्फ एक हिस्से में उतरा. लेकिन साल 2023 में भारत ने फैसला किया कि वह अपन चंद्रयान-3 चांद के उस हिस्से में उतारेगा, जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा. 23 अगस्त 2023 वो तारीख है जब चंद्रयना चांद के साउथ पोल पर उतरा. भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने ये काम करके भारत को दुनिया की टॉप स्पेस शक्तियों में शामिल कर दिया.


लकवा पीड़ितों का इलाज


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों के लिए कुछ मामलों में घातक है तो कुछ मामलों में यह वरदान भी साबित हुआ. खासतौर से मेडिकल जगत में इसका इस्तेमाल कमाल का है. साल 2023 में इसी की मदद से वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया जो लकवा ग्रस्त मरीजों के दिमाग में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल भेज कर उनके शरीर को प्रतिक्रिया करने पर मजबूर कर देता है. दरअसल, वैज्ञानिकों ने वायरलेस डिजिटल ब्रिज का नाम का एक डिवाइस बनाया, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कनेक्शन को जोड़ता है. यह मशीन दिमाग के विचारों को एक्शन में बदलती है और दिमाग शरीर के लकवाग्रस्त हिस्से को मूव करने का कमांड देता है.


बिना स्पर्म का मानव भ्रूण


ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने साल 2023 में कमाल का काम किया. उन्होंने स्टेम सेल की मदद से मानव का सिंथेटिक भ्रूण तैयार कर लिया. उनके अनुसार, इस भ्रूण के लिए स्पर्म या अंडों की जरूरत नहीं पड़ी. सबसे बड़ी बात कि यह सिंथेटिक भ्रूण मानव के प्राकृतिक भ्रूण के शुरुआती रूप से काफी मिलता-जुलता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके जरिये वह अनुवांशिक कमियों को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि इस प्रयोग पर कई तरह के नैतिक और कानूनी सवाल भी उठे.


1320 करोड़ साल पुराना ब्लैक होल मिल गया


साल 2023 अंतरिक्ष के लिहाज से भी बेहतर रहा. इस साल नासा की चंद्रा एक्स-रे वेधशाला और जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन ने ब्रह्मांड में अब तक ज्ञात सबसे पुराने ब्लैक होल खोजा. आपको बता दें, ये ब्लैक होल जीएन-जेड11 नामक गैलेक्सी में है. वैज्ञानिक इसे 1320 करोड़ साल पुराना मान रहे हैं.


मीथेन से रॉकेट पहुंचा अंतरिक्ष में


चीन की प्राइवेट कंपनी लैंडस्केप ने मीथेन का इस्तेमाल कर रॉकेट जूक-2 को अंतरिक्ष में पहुंचा दिया. ऐसा पहली बार हुआ, इससे पहले मीथेन की मदद से ऐसा किसी ने नहीं किया था. सबसे बड़ी बात की मीथेन एक ग्रीन हाउस गैस है, इसलिए इस गैस को ईंधन के रूप में उपयोग करने पर इस तरीके की दुनियाभर में सराहना हुई.


त्वचा की कोशिकाओं से जन्मा चूहा


विज्ञान अब इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कि वह लैब में जीवन तैयार करने लगा है. जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने दो नर चूहों की कोशिकाओं से एक जीवित चूहे को जन्म देने में सफलता हासिल कर ली. नेचर पत्रिका में इसे लेकर छपे में लेख में लिखा गया कि चूहों की पूंछ से ली गई त्वचा की कोशिकाओं से अंडे तैयार किए गए और इन्हें मादा चूहे में इंप्लांट किया गया और फिर इसकी मदद से जीवित चूहे तैयार हुए.


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