Yamuna River Foam Pollution: देश की राजधानी दिल्ली में हर बार की तरह इस बार भी यमुना नदी के किनारे छठ की तैयारी पूरी जोरों-शोरों से चल रही है. इस बार छठ का पर्व 25 अक्टूबर यानी कल मनाया जाएगा. छठ के साथ ही यमुना नदी की चर्चाएं भी तेज हो जाती है. दरअसल, यमुना नदी में आने वाला सफेद झाग हर साल छठ की रौनक को फीका कर देता है.
हालांकि, इस बार दिल्ली सरकार ने यमुना के झाग को खत्म करने के लिए कई योजनाएं लॉन्च की हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दिल्ली में हर साल यमुना में झाग क्यों बनता है और किस टेक्नोलॉजी से इसे खत्म किया जाएगा.
हर साल यमुना में क्यों बनता है झाग
एक्सपर्ट्स के अनुसार, यमुना में झाग बनने का मुख्य कारण फैक्ट्री से निकलने वाला कचरा, सीवेज वॉटर और डिटर्जेंट है. दरअसल, दिल्ली और नोएडा के आसपास फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल वेस्ट भी सीधे यमुना में चला जाता है, वहीं शहर के कई इलाकों से गंदा पानी भी बिना फिल्टर यमुना में गिरता है. इस कारण यमुना का पानी जहरीला हो जाता है और उसमें रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण झाग बनता है. दिल्ली के घाटों पर पानी का बहाव धीमा होने की वजह से यह झाग नदी के किनारे जमा होकर छठ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए और खतरनाक बन जाता है.
ऐसे खत्म किया जाएगा यमुना का झाग
इस बार दिल्ली सरकार ने यमुना को झाग मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए एक विशेष योजना लॉन्च की, जिसके तहत ओखला बैराज पर स्टैटिक और मोबाइल स्प्रिंकलर लगाए जाएंगे. ये स्प्रिंकलर एंटी फोम एजेंट्स का उपयोग कर झाग खत्म करेंगे. इसके अलावा फोम अरेस्टर की मदद से पानी में जमा झाग को अलग किया जाएगा. वहीं नदी में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गोताखोर और पावर बोट भी तैनात की जाएंगे.
फिनलैंड से मंगवाई झाग खत्म करने के लिए ड्रेजिंग मशीन
छठ के पहले यमुना की तलहटी में जमी गाद को हटाने के लिए भी दिल्ली सरकार ने फिनलैंड से अत्याधुनिक ड्रेजिंग मशीन वॉटर मास्टर क्लासिक 4 खरीदी है. यह मशीन नदी की तलहटी से 6 मीटर गहराई तक गाद, जलकुंभी और ठोस अपशिष्ट निकाल सकती है. यह मशीन हर घंटे में 600 घन मीटर गाद निकाल सकती है. इसके अलावा नदी के अंदर जमा गाद को पाइप के माध्यम से डेढ़ किलोमीटर दूर सूखी जमीन पर डाला जा सकता है. इस मशीन का इस्तेमाल पूरे साल किसी भी मौसम में भी किया जा सकता है.