समय के साथ अखंड भारत का नक्शा कई बार बदला है. 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान का गठन हुआ और 1971 में उससे बांग्लादेश अलग हो गया. अफगानिस्तान भले ही आज एक अलग देश हो, लेकिन यह भी कभी अखंड भारत का हिस्सा था.  26 मई, 1739 को मुगल बादशाह मोहम्मद शाह ने ईरान के नादिर शाह के साथ एक संधि पर दस्तखत किए, जिसके चलते भारतीय साम्राज्य का यह हिस्सा अलग हो गया. ऐसे में हमारे मन में सवाल आता है कि अगर आज भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत का हिस्सा होते तो क्या भारत में मुस्लिमों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा होती? इस सवाल का जवाब आंकड़ों और जनसंख्या के आधार पर जानना जरूरी है चलिए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से... 

कितने होते भारत में मुस्लिम

आज दुनिया में मुस्लिमों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में रहती है और दूसरी सबसे बड़ी आबादी पाकिस्तान में रहती है. इन दोनों देशों से सिर्फ इंडोनेशिया ही आगे है. भारत की मौजूदा आबादी लगभग 141 करोड़ है, जिसमें करीब 80 फीसदी लोग हिंदू और लगभग 14 फीसदी मुस्लिम हैं. यानी भारत में फिलहाल करीब 113 करोड़ हिंदू और 20 करोड़ मुस्लिम हैं. वहीं, पाकिस्तान की आबादी लगभग 24 करोड़ है, जिसमें 96 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं. इसका मतलब है कि पाकिस्तान में मुस्लिमों की संख्या करीब 23 करोड़ के आसपास है. अफगानिस्तान की आबादी 4 करोड़ के आसपास है, जिसमें 99 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं. यानी यहां लगभग पूरी आबादी मुस्लिम है. अगर इन तीनों देशों की कुल आबादी को जोड़ दिया जाए तो इस संयुक्त आबादी में मुस्लिमों की कुल संख्या होती लगभग 47 करोड़, जबकि हिंदू आबादी 113 करोड़ से थोड़ी ज्यादा ही रहती. 

भारत होता हिंदू बहुल राष्ट्र

तीनों देशों की कुल आबादी को मिलाने के बाद भी भारत की आबादी में हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा रहती. इसका सीधा मतलब ये है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान अगर भारत का हिस्सा होते, तब भी हिंदू बहुसंख्यक रहते. हालांकि, मुस्लिम आबादी करीब 28% तक पहुंच जाती जो आज के मुकाबले काफी ज्यादा होती. हालांकि, ऐसा होने पर देश का सामाजिक और राजनीतिक माहौल काफी अलग होता. इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी नीतियों, राजनीति और आरक्षण जैसे मुद्दों को काफी प्रभावित करती. 

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