दिल्ली में बीते महीने स्ट्रे डॉग्स को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोगों ने बेहद नाराजगी जताई. दिल्ली में कुत्तों के काटने से बढ़ते रेबीज के मामलों को देखते हुए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया था. दरअसल, रेबीज की बीमारी कुत्तों के काटने से होती है. ऐसी स्थिति में अक्सर लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती जिस कारण उनकी मौत हो जाती है. इसलिए हर साल 28 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है, जिससे कि रेबीज की बीमार पर रोकथाम की जा सके. ऐसे में आइए जानते हैं कि जानवरों के काटने के कितने दिन बाद होता है रैबीज, कितने दिन में हो जाती है मौत.

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कैसे होती है रेबीज की बीमारी?

रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो रेबीज वायरस के कारण होती है. ये वायरस लार में पाया जाता है और इंफेक्टेड जानवर के काटने से फैलता है. इसके अलावा अगर पहले से किसी जगह पर चोट लगी है और उसपर रेबीज का वायरस आगे तो भी रेबीज होने के चांसेज होते हैं. WHO की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा रेबीज के केस भारत में ही दर्ज किए जाते हैं. रेबीज कई जानवरों के काटने से हो सकता है लेकिन इनमें से 99% मामलों में कुत्तों के काटने से रेबीज होता है.

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क्या होते हैं लक्षण?

किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं. दरअसल, रेबीज के गंभीर मामलों में लक्षण लगभग 5 दिन बाद दिखाई देने शुरू होते हैं. जबकि अधिकतर मामलों में इसके लक्षण दिखने में 1 से 2 महीने का समय भी लग सकता है. इस टाइम पीरियड को इनक्यूबेशन पीरियड कह जाता है.  रेबीज में कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते है:

1. शुरुआत में

जलन, बुखार और चिंता 

2. वायरस अगर दिमाग तक पहुंच जाए

हाइड्रोफोबिया, एयरोफोबिया और बहुत ज्यादा लार आना

3. पैरालिटिक रेबीज

इसमें लकवे की शुरुआत कटे हुए हिस्से से होती है. साथ ही इसमें पहले 72 घंटों में मरीज के कोमा में जाने के असर भी होते हैं.

कितने दिन में होती है मौत?

यदि किसी व्यक्ति को रेबीज से इनफैक्टेड डॉग काट लेता है तो इस स्थिति में उसकी जान भी जा सकती है. ऐसे में कई बार इंजेक्शन लगवाने के बावजूद भी मौत होने का खतरा रहता है. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि किसी व्यक्ति को रिवाइज होने के बाद जब उसमें लक्षण दिखाई देने लगे तो तब से 10 दिन के अंदर उसकी मौत हो जाती है. लेकिन हर बार ऐसा हो ये भी जरूरी नहीं है क्योंकि लक्षण दिखने में कुछ दिनों से लेकर कई महीनों या एक साल से भी ज्यादा समय लग सकते हैं . अब यह काटने की जगह, घाव की गंभीरता और वायरस की मात्रा पर निर्भर करता है. ऐसे में लक्षण दिखने के बाद इंसान को बचाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है.

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