8 नवंबर 2016 को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, इसके बाद गली-मोहल्ले में जितने भी एटीएम थे, सभी के बाहर लंबी भीड़ देखी गई थी. लोग रुपये निकालने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहते थे. जो लोग भी उस दिन नोट के लिए लंबी लाइन में लगे होंगे, उनको उस दिन एटीएम की अहमियत जरूर समझ में आ गई होगी. आज डिजिटल पेमेंट के दौर में भले ही एटीएम की जरूरत कम हो गई हो, लेकिन जब डिजिटल का युग नहीं था, तब एटीएम बहुत काम की चीज थी. आप सोच रहे होंगे कि आज हम इसका जिक्र क्यों कर रहे हैं. दरअसल वो आज का ही दिन था, जब दुनिया को पहला एटीएम मिला था. आइए इसके अविष्कार की कहानी जानें.

कब शुरू हुआ दुनिया का पहला एटीएम

27 जून 1967 को लंदन के एन्फील्ड इलाके में दुनिया का पहला एटीएम शुरू किया गया था. आज इसको 58 साल पूरे हो चुके हैं. दुनिया का यह पहला एटीएम बारक्लेज बैंक की ब्रांच के बाहर लगा था. आज भले ही लोग बेधड़क तरीके से एटीएम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उस वक्त जब पहली बार लोगों ने मशीन को नोट उगलते हुए देखा तो दुनिया हैरान थी. दुनिया के इस पहले एटीएम से उस वक्त ब्रिटिश अभिनेता रेग वर्णय ने पैसे निकाले थे. खैर आज तो इसका जाल दुनियाभर में फैल चुका है.

कैसे आया एटीएम का आइडिया

इस मशीन के अविष्कारक जॉन शेफर्ड-बैरोन माने जाते हैं. कहा जाता है कि बैरोन ने एटीएम का अविष्कार इसलिए किया था, क्योंकि वो जब भी बैंक में पैसे निकालने के लिए जाते थे तो बहुत लंबी लाइन हुआ करती थी. उनको घंटों उस लाइन में खड़े रहने पड़ता था. कई बार जब शनिवार को बैंक बंद रहता था, तब पैसे निकल नहीं पाते थे, इसी से उनको यह मशीन बनाने का आइडिया आया था. उसी शाम को जब वे घर लौटे तो नहाते समय उनको आइडिया आया कि अगर चॉकलेट वेंडिंग मशीन से टॉकलेट निकल सकती है, तो क्यों न ऐसी मशीन बनाई जाए जो कि पैसे दे सके. अब तो लंदन में लगा यह दुनिया का पहला एटीएम बहुत ज्यादा बदल चुका है. बारक्लेज बैंक की ब्रांच में लगे इस एटीएम को 50 साल पूरे होने के मौके पर साल 2017 में सोने का बना दिया गया था. 

भारत में कब आया एटीएम

पिछले पांच दशक से इसमें तकनीकी बदलाव किए जा रहे हैं, जो कि अभी भी जारी हैं. भारत में पहले एटीएम की बात करें तो यहां पहला एटीएम 1987 में शुरू हुआ था. मुंबई में HSBC यानि हांगकांग एंड शंघाई बैंक कॉरपोरेशन ने मुंबई की एक ब्रांच में एटीएम मशीन लगवाई थी. आरबीआई की मानें तो देश में सितंबर 2020 तक 2,34,244 मशीनें लगाई जा चुकी थीं. जॉन शेफर्ड ने पहले इस एटीएम मशीन का पिन छह अंकों का रखा था, लेकिन कहा जाता है कि उनकी पत्नी को इसे याद करने में दिक्कत होती थी, इसलिए फिर उन्होंने इसे बदलकर 4 अंकों का कर दिया था. 

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