महिलाओं को काम करने के लिए पति से लेनी होती है परमिशन, दुनिया के 18 देशों में है ये नियम
दुनिया के ऐसे कई देश हैं जहां महिलाओं को हर काम करने के लिए अपने पति से परमिशन लेनी पड़ती है. ऐसे में चलिए उन देशों के बारे में जानते हैं.
हमारे देश में महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं और हर फील्ड में तरक्की कर रही हैं. वहीं अब भी दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां आज भी महिलाओं को काम करने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़ती है. इन देशों में महिलाओं को अपनी मर्जी से कोई काम करने की आजादी नहीं है. ऐसे में चलिए उन देशों के बारे में जानते हैं.
इन देशों में महिलाओं को काम करने के लिए पति से लेनी होती है परमिशन
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 18 देशों में महिलाओं को काम करने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़ती है. इन देशों में अफ्रीका और एशिया के कई देश शामिल हैं. जहां महिलाओं को आजादी नहीं है. यदि यहां किसी महिला को काम करना होता है तो उन्हें अपने पति की परमिशन लेनी होती है. इन देशों में बेहरीन, बोलीविया, कैमेरून, चैड, कांगो, गैबोन, गुईनेआ, ईरान, जॉर्डन, कुवैत, मारुतियाना, निगार, कतर, सुडान, सीरिया, यूनाइटेड अरब अमिरात, वेस्ट बैंक और गाजा, यमन शामिल हैं.
यह भी पढ़ें: यहां बनते हैं सबसे ज्यादा भारतीय ट्रेनों के कोच, दुनिया में सबसे बड़ी रेल फैक्ट्रियों में एक
क्यों है ये नियम?
कई देशों में ऐसी सांस्कृतिक मान्यताएं हैं जो महिलाओं को घर के कामों तक सीमित रखती हैं. उन्हें समाज में पुरुषों की तुलना में कमतर माना जाता है. वहीं कुछ धर्मों में ऐसी व्याख्याएं की जाती हैं जिनके अनुसार महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए. इसके अलावा कई देशों में ऐसे कानून हैं जो महिलाओं के अधिकारों को सीमित करते हैं. ये कानून अक्सर पुरानी परंपराओं पर आधारित होते हैं.
यह भी पढ़ें: इजरायल और सऊदी में युद्ध हुआ तो कितने लोगों की हो सकती है मौत? रूस यूक्रेन से भी ज्यादा होगी तबाही!
क्यों नियम हैं गलत?
यह नियम महिलाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने से रोकते हैं. साथ ही जब महिलाएं काम नहीं करती हैं तो समाज का आधा हिस्सा विकास से वंचित रह जाता है. इसके अलावा यह नियम लैंगिक समानता के सिद्धांत के खिलाफ है.
हाल के वर्षों में कई देशों ने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कानून बनाए हैं. कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भी महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. हालांकि, अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है.
यह भी पढ़ें: डिजिटल अरेस्ट के दौरान कॉल क्यों नहीं काट पाते लोग, ऐसा क्या होता है उनके साथ?