बीते कुछ वर्षों में जैविक हथियारों को लेकर वैश्विक चिंता तेजी से बढ़ी है. खासकर जब से कोविड-19 जैसी महामारी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया, तब से यह आशंका और गहराने लगी है कि कहीं भविष्य में कोई देश, विशेष रूप से चीन जैसा सैन्य और तकनीकी रूप से शक्तिशाली राष्ट्र युद्ध में खतरनाक वायरस का इस्तेमाल न कर बैठे. इस संदर्भ में कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और खुफिया एजेंसियों ने जैविक हथियारों की तैयारियों को लेकर गंभीर चेतावनी दी है.

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कितने खतरनाक होते हैं जैविक हथियार


जैविक हथियार वे घातक उपकरण होते हैं जिनमें वायरस, बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्म जीवों को जानबूझकर हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है. ये हथियार किसी बम या मिसाइल की तरह एक बार में विनाश नहीं करते, बल्कि धीरे-धीरे और व्यापक रूप से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं. एक बार फैलने के बाद इनका नियंत्रण बेहद कठिन होता है और यह युद्ध क्षेत्र से बाहर भी आम जनता को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.


क्या चीन के पास है जैविक हथियार


चीन को लेकर आशंका इसलिए गहरी है क्योंकि उसके पास उच्च स्तरीय जैव प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें से एक है वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी. कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति को लेकर इसी लैब पर सवाल उठते रहे हैं, हालांकि इस पर अभी तक कोई अंतिम वैज्ञानिक निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. यह जरूर सामने आया है कि चीन जैविक शोध और वायरसों की संरचना में काफी आगे है. इसके अलावा चीन की सेना की रणनीति में Unrestricted Warfare सिद्धांत भी शामिल है, जिसमें साइबर, आर्थिक और जैविक हमले जैसे विकल्पों को शामिल किया गया है.


अगर किसी युद्ध की स्थिति में चीन जैविक हथियार का प्रयोग करता है, तो वह दुश्मन देश की आबादी, सेना, खाद्य आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से अधमरा बना सकता है, वो भी बिना एक भी गोली चलाए. ऐसे हमले की पहचान करना मुश्किल होता है और जब तक पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. यही कारण है कि जैविक हथियारों को गरीब देशों का परमाणु हथियार भी कहा जाता है, क्योंकि यह कम लागत में अधिक विनाश करता है.


किन देशों के पास है जैविक हथियार


सिर्फ चीन है नहीं दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनके पास जैविक हथियार हो सकते हैं. हालांकि, यह प्रतिबंधित है इसीलिए कोई भी देश यह खुलकर नहीं बोलता कि उसके पास जैविक हथियार मौजूद है. इसके प्रतिबंध के लिए Biological Weapons Convention संधि है जो इस तरह के हथियारों पर प्रतिबंध लगाती है. माना जाता है कि चीन के अलावा रूस और अमेरिका के पास भी जैविक हथियार मौजूद हैं. 


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