देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे. 21 मई 1991 के दिन तमिलनाडु में LTTE के आतंकवादियों ने आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी. उनकी यह हत्या एसपीजी सुरक्षा हटने के बाद हुई थी. आज भी बहुत से लोग उनकी हत्या की सबसे बड़ा कारण इसी बात को मानते हैं.


कई लोगों के मन में सवाल आता है आखि क्यों हटाई गई थी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा. क्या था इसके पीछे कारण. और किस वजह से लिया गया था या फैसला. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.   



किस वजह से हटाई गई थी एसपीजी सुरक्षा?


साल 1989 के जो चुनाव हुए थे. उसमें कांग्रेस की हार हुई थी. जिसके बाद राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. वीपी सिंह देश के नए प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन वीपी सिंह सरकार की  ओर से अगले तीन महीने तक राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा बहाल रख गई. इसके बाद यह सुरक्षा उनके पास से हटा ली गई. क्योंकि उस समय स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी के कानून में पूर्व प्रधानमंत्री शामिल नहीं थे.


इसी वजह से यह फैसला लिया था. जिसके चलते उनकी सुरक्षा की कमजोर पड़ गईं थीं. और इसी के बाद 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर चुनाव प्रचार के दौरान उन पर एक आत्मघाती हमला किया गाय. जिसमें उनकी मृत्यु हो गई. इसी बात को लेकर काफी विवाद हुआ था कि एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के कारण ही उन पर हमला हुआ.


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किन्हें मिलती है एसपीजी सुरक्षा?


स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी का कानून साल 1988 में पास किया गया था. साल 1985 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह फैसला लिया गया था. लेकिन तब तक यह सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार को ही दी जाती थी. और यही कारण था कि साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी. हालांकि 1991 राजीव गांधी पर हुए आत्मघाती हमले के बाद इस कानून में बदलाव कर दिया गया था. 


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और पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार वालों को भी सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था. जो 10 साल के लिए थी. लेकिन साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इसमें संशोधन करते हुए इस प्रोटेक्शन को 1 साल और खतरे की आशंका होने सरकार के आदेश पर दोबारा से लागू कर दिया गया था.  


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