Diwali 2025: रोशनी का त्योहार दिवाली पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस त्योहार को लेकर हर क्षेत्र और हर युग की अपनी अपनी परंपराएं और रीति रिवाज रहे हैं. मुगल काल में भी भव्य उत्सव होते थें, लेकिन उसके बावजूद कुछ अनोखे नियमों का सख्ती से पालन किया जाता था. आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे ही नियम के बारे में. 

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क्या था दिवाली पर खास नियम?

दिवाली के दौरान महल में सब्जियां लाना पूरी तरह से प्रतिबंधित था. इसका कारण था काले जादू का डर. ऐसा माना जाता था कि सब्जियों का इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं और जादू टोने के लिए किया जा सकता है.  महल, सम्राट और उनके परिवार का निवास स्थान होने की वजह से महिलाओं और शाही परिवार को हर तरह की कटु दृष्टि से बचाने के लिए कड़े अनुष्ठान किए जाते थे. 

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जादू टोने से बचने के लिए सब्जियां छीलना 

अगर सब्जियां लानी ही होती थीं तो एक खास अनुष्ठान होता था. महल में सब्जियों को लाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से छिला जाता था. बैंगन, मूली, कद्दू और गाजर जैसी सब्जियों को किसी भी काले जादू में इस्तेमाल होने से बचाने के लिए इस प्रक्रिया से गुजारा जाता था.

महल में आवाजाही पर प्रतिबंध 

इतना ही नहीं बल्कि दिवाली के दौरान खासकर छोटी दिवाली के दिन महल में कर्मचारियों और परिचारकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था. किसी को भी महल से बाहर जाने या फिर अंदर आने की अनुमति नहीं होती थी. क्योंकि ऐसा माना जाता था कि यह महल को किसी भी बाहरी प्रभाव या जादुई घुसपैठ से बचने का एक रास्ता है. सिर्फ अंधविश्वास ही नहीं बल्कि इन नियमों की वजह से शाही महल के अंदर व्यवस्था और नियंत्रण भी बना रहता था. दिवाली के समृद्धि और प्रकाश का त्यौहार होने के वजह से एक ऐसा भी समय था जब इन अनुष्ठानों को काफी ज्यादा गंभीरता से लिया जाता था. उस युग में कई नियम और रीति रिवाज धर्म, संस्कृति और अंधविश्वास के मेल से प्रभावित हुआ करते थे.

सब्जियों पर प्रतिबंध कोई एक नियम नहीं था. बल्कि मुगलों के पास दिवाली के साथ-साथ अलग-अलग त्योहारों के लिए खास नियम थे. इससे यह सुनिश्चित होता था कि महल को किस तरह से सजाया जाएगा, क्या खाना परोसा जाएगा और किन अनुष्ठानों का पालन किया जाएगा.

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