साउथ कोरिया की कुछ वेश्याओं ने अमेरिकी सेना के खिलाफ पहली बार मुकदमा दायर किया, जिसमें अमेरिकी सेना पर दशकों से अवैध रूप से सेक्स व्यापार का बढ़ावा देने और यौन संचारित रोगों के इलाज के लिए उन्हें जबरदस्ती बंद करने का आरोप लगाया है. यह मामला कोरियाई युद्ध (1950-1953) और उसके बाद के दशकों से जुड़ा है, जब इन महिलाओं को कथित तौर पर यौन शोषण के लिए मजबूर किया गया. चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

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क्या है वेश्याओं की मांग

महिलाओं की मांग है कि अमेरिकी सेना माफी मांगे और दक्षिण कोरिया में अपने ठिकानों के आसपास वेश्यावृत्ति के एक विशाल नेटवर्क के प्रबंधन में हाथ होने के लिए हर्जाना दे. बता दें कि साल 2022 में महिलाओं ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक अदालत का फैसला जीता था. दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उन दर्जनों महिलाओं को मुआवजा देने का आदेश दिया जिसमें महिलाओं ने अमेरिकी सेना के लिए आरामदेह महिलाओं के रूप में आघात सहा था जैसा उन्हें 'कम्फर्ट वुमन' कहा जाता था. अदालत ने पाया कि सरकार ने वेश्यावृत्ति को प्रोत्साहित करने की दोषी थी जिससे अमेरिकी डॉलर लाने और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधथ बनाए रखने में मदद मिल सके जिस पर वह सुरक्षा के लिए निर्भर थी.  क्या है ताजा मामला?

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ताजा मुकदमा 5 सितंबर 2025 को सियोल की एक अदालत में दायर किया गया था जिसमें महिलाओं द्वारा अमेरिकी सेना को जवाबदेह ठहराने का प्रयास था. महिलाओं और उनके वकीलों ने कहा कि अमेरिकी सेना असली दोषी थी जो राज्य द्वारा प्रायोजित सेक्स व्यापार था यहां तक कि अपने ठिकानों के अंदर और अपने फील्ड ट्रेनिंग ग्राउंड के पास 'कम्फर्ट वुमन' को अनुमति देता था. कोरियाई युद्ध (1950-1953) खत्म होने के बाद दक्षिण कोरिया ने अमेरिकी सैनिकों के ठिकानों के आसपास "कैंपटाउन" नाम के इलाके बनाए, जहां हजारों महिलाओं को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया. कैंप टाउन्स में काम करने वाली कुछ महिलाओं का अपहरण कर उन्हें दलालों को बेच दिया गया था जबकि अन्य को काम का झांसा देकर बहलाया गया था. और शारीरिक-यौन हिंसा का सामना करना पड़ा.  इसे भी पढ़ें-18 Carat Gold Jewellery: 18 कैरेट गोल्ड में क्या-क्या मिलाया जाता है, इससे कौन-कौन सी ज्वैलरी बनवा सकते हैं?