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धान और गेहूं की खेती तो आपने अक्सर देखी होगी, लेकिन चीन में एक ऐसी खेती होती है जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल चीन में बड़े पैमाने पर मगरमच्छ की खेती की जाती है. यह कोई साधारण काम नहीं है बल्कि अरबों डॉलर का कारोबार है. चीन के फार्म्स में मगरमच्छों को उनके मांस और खाल के लिए पाला जाता है.

कैसे होती है मगरमच्छ की खेती?

मगरमच्छ के अंडे मगरमच्छ पालन के कारोबार में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. इसके ल‍िए फार्म में विशेष रेत के घोंसले बनाए जाते हैं, जहां अंडों को रखा जाता है. बाद में इन्हें हैचरी में ट्रांसफर किया जाता है, जहां तापमान को 29 से 34 डिग्री सेल्सियस और नमी को नियंत्रित रखा जाता है. इसके बाद लगभग 65 से 90 दिनों में मगरमच्छ के अंडे फूटते हैं और छोटे मगरमच्छ निकाल आते हैं. इन मगरमच्छ के बच्चों को रियरिंग टैंक्‍स में रखा जाता है, जहां साफ पानी और पर्याप्त जगह उपलब्ध होती है. धीरे-धीरे जब यह बड़े होते हैं तो इन्हें या तो आगे ब्रीडिंग के लिए बेचा जाता है या फिर प्रोसेसिंग यूनिट्स में भेजा जाता है.

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कहां जाता है मगरमच्छ का मांस और खाल?

चीन के महंगे रेस्टोरेंट में मगरमच्छ का मांस डिमांड में रहता है. माना जाता है कि इसका मांस लो-फैट, टेंडर और न्यूट्रिशन से भरपूर होता है. इसे टेल, बैक और लेग्स जैसे हिस्सों में काटकर बेचा जाता है. वहीं मगरमच्छ की खाल फैशन इंडस्ट्री की शान मानी जाती है. इससे लग्जरी ैग, जूते और बेल्ट बनाए जाते हैं. यही कारण है कि मगरमच्छ की खेती से हर साल करीब 9 अरब डॉलर का कारोबार होता है. मगरमच्छ की खेती तो की जाती है लेक‍िन इस उद्योग को लेकर विवाद भी सामने आए हैं. एनिमल प्रोटेक्शन कम्युनिटीज का कहना है कि खाल के लिए मगरमच्छों को मारना अमानवीय और अनावश्यक है. उनका मानना है कि इससे प्रजातियों के संरक्षण पर खतरा मंडरा रहा है.

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