नए-नए पैरेंट्स बने कपल्स की अक्सर शिकायत होती है कि बच्चा होने के बाद उनकी नींद हराम हो गई है. दिन में उनका नवजात बच्चा सोता रहता है, लेकिन रात होते ही वह परेशान करना शुरू कर देता है. कभी रात में बच्चे को भूख लगती है, तो उसे दूध पिलाना पड़ता है तो कभी उसकी नैपी बदलनी होती है. कुल मिलाकर नए पैरेंट्स बनने वाले कपल्स को रातभर जागना ही होता है. 

अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो क्या आपने कभी इसके पीछे के कारण को जानने की कोशिश की है. बच्चा जब पैदा होता है तो वह दिन में ज्यादा क्यों सोता है और रात में जागता क्यों है? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे. 

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मां के पेट से है कनेक्शन

किसी भी नवजात बच्चे की नींद का कनेक्शन मां के पेट से ही होता है. जब बच्चा मां के पेट में होता है तो वह अधिकतर समय सोता ही रहता है. डिलीवरी के बाद जब बच्चा पेट से बाहर आता है तो कुछ महीनों तक उसका स्लीपिंग पैटर्न नहीं बना होता है. ऐसे में उसे दिन और रात में अंतर पता नहीं चलता. हालांकि, समय के साथ जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो वह एक स्लीपिंग पैटर्न बना लेता है और उसकी नींद की जरूरत में बदलाव होता है. यही कारण है कि नवजात बच्चा दिन में अधिक सोता है और रात के समय अक्सर जागता रहता है. 

बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण होती है नींद

नवजात बच्चे के लिए उसकी नींद बहुत जरूरी होती है. यह बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण होती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार, एक नवाजत शिशु से लेकर 12 महीने तक के बच्चे के लिए 12 से 16 घंट की नींद जरूरी होती है. नींद के समय बच्चे का तंत्रिका तंत्र विकसित होता है. हालांकि, एक से दो साल का होने पर बच्चे का स्लीपिंग पैटर्न बदल जाता है, उस समय उसे दिन में 11 से 14 घंटे की नींद की जरूरत होती है. 

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