ऑफिस में डेली काम करते-करते थकान हो जाना लाजमी है. ऐसे में लोगों को लगता है कि चलो थोड़ी देर झपकी मार लेते हैं, जिससे कि एनर्जी मिल जाए और प्रोडक्शन पर भी गलत असर न पड़े, लेकिन भारत में ऐसा संभव नहीं है. यहां अगर आप काम के दौरान झपकी लेते हैं तो इसे आपका आलस और कामचोरी की श्रेणी में गिना जाएगा. लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं, जो कि काम के दौरान पावर नैपिंग को बढ़ावा देते हैं. चलिए उनके बारे में जानते हैं. 

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इस देश में में इनएमुरी की परंपरा

जापान दुनिया के सबसे मेहनती देशों में गिना जाता है. वहां पर कर्मचारी कई घंटों तक काम करते रहते हैं. ऐसे में थकान के चलते दफ्तर में या यहां तक कि मीटिंग के दौरान झपकी लेना आम बात है, लेकिन वहां इसे नेगेटिव रूप में नहीं लिया जाता. वहां यह माना जाता है कि कर्मचारी इतना समर्पित है कि नींद के बावजूद काम छोड़कर घर जाने की बजाय वहीं मौजूद रहकर आराम कर रहा है.

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जापानी कंपनियां इसे एक तरह का डेडिकेशन सिंबल मानती हैं. ऑफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे सिर झुकाकर सो जाना, ट्रेन में काम पर जाते समय सोना या मीटिंग में हल्की झपकी लेना, यह सब वहां के प्रोफेशनल कल्चर का हिस्सा है.

भारत में स्थिति बिल्कुल उलट

भारत में अगर कोई कर्मचारी ऑफिस में काम के समय झपकी लेता दिखाई दे, तो इसे आलस या लापरवाही समझा जाता है. अक्सर ऐसे मामलों में कर्मचारियों को बॉस की नाराजगी झेलनी पड़ती है. यहां कंपनियां ज्यादा तरजीह काम पूरा करने और सतर्क रहने पर देती हैं. हालांकि, कुछ आईटी कंपनियों या स्टार्टअप्स ने अब पावर नैप रूम या रिलैक्सेशन जोन जैसी सुविधाएं देना शुरू किया है, लेकिन यह अभी भी बहुत सीमित स्तर पर है.

क्यों है इतना अंतर?

इस अंतर की जड़ दोनों देशों के वर्क कल्चर में छिपी है. जापान में मेहनत और डेडिकेशन समाज का हिस्सा हैं. वहां 12-14 घंटे काम करना आम बात है, जबकि भारत में औसतन 8-9 घंटे के वर्किंग आवर्स तय हैं. जापानी कंपनियां मानती हैं कि थके कर्मचारी को थोड़ी देर की झपकी लेने की अनुमति देने से उसकी कार्यक्षमता और ध्यान वापस आ जाता है. भारत में हालांकि कर्मचारी लंबे घंटे काम करते हैं, लेकिन कार्यस्थल पर झपकी लेने को अनुशासनहीनता माना जाता है. यहां यह धारणा है कि सोना मतलब काम में लापरवाही होता है.

क्या भारत को जापान से सीखना चाहिए?

आज जब भारत स्टार्टअप और कॉर्पोरेट कल्चर में तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और उत्पादकता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. रिसर्च की मानें तो 20 मिनट की पावर नैप से दिमाग ज्यादा एक्टिव हो जाता है और काम की गुणवत्ता बेहतर होती है. शायद यही वजह है कि भारत में भी धीरे-धीरे कुछ कंपनियां जापान की तरह ऑफिस में पावर नैप पॉलिसी अपनाने लगी हैं.

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