क्या आपने कभी गौर किया है कि बाइक के मुकाबले स्कूटी के पहिए हमेशा छोटे क्यों होते हैं? क्या ये सिर्फ डिजाइन का फर्क है या इसके पीछे कोई गहरा तकनीकी कारण छिपा है? दरअसल, स्कूटी का छोटा पहिया सिर्फ दिखने में हल्का नहीं होता, बल्कि यह उसके चलने, मुड़ने और माइलेज तक पर असर डालता है. शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों और ट्रैफिक के बीच, यही छोटे पहिए स्कूटी को बाइक से कहीं ज्यादा फुर्तीला और स्मार्ट बनाते हैं.

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क्यों छोटे होते हैं स्कूटी के पहिए?

अगर आप स्कूटी और बाइक को साथ खड़ा करें, तो सबसे पहले जो फर्क नजर आता है, वह है पहियों का आकार. जहां बाइक में बड़े टायर और मोटे रिम होते हैं, वहीं स्कूटी में छोटे पहिए लगाए जाते हैं, लेकिन ये कोई डिजाइन का इत्तेफाक नहीं, बल्कि एक सोच-समझा इंजीनियरिंग निर्णय है. स्कूटी को शहर की सड़कों, ट्रैफिक और रोजमर्रा के छोटे-छोटे रास्तों के लिए बनाया गया है. इसलिए इसके पहिए बाइक से छोटे रखे जाते हैं ताकि वह हल्की, फुर्तीली और आसान कंट्रोल में रह सके.

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छोटे पहियों के फायदे

छोटे पहिए स्कूटी को ज्यादा फुर्तीली हैंडलिंग देते हैं. इसका मतलब है कि स्कूटी मोड़ों पर तुरंत मुड़ जाती है और ट्रैफिक में कम जगह में भी आसानी से निकल जाती है. छोटे पहिए का टर्निंग रेडियस कम होता है, जिससे संकरी गलियों या ट्रैफिक सिग्नल पर मोड़ना आसान हो जाता है. यही वजह है कि महिलाएं और नए राइडर स्कूटी चलाने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं.

दूसरा बड़ा कारण है कम वजन और लागत. छोटे पहिए हल्के होते हैं और इन्हें बनाने में खर्च भी कम आता है. इससे स्कूटी का कुल वजन घट जाता है, जिससे माइलेज बढ़ता है और परफॉर्मेंस बेहतर होती है. यही कारण है कि स्कूटी, समान इंजन कैपेसिटी वाली बाइक के मुकाबले ज्यादा माइलेज देती है.

तीसरा कारण है एक्स्ट्रा स्पेस का फायदा. छोटे पहियों की वजह से स्कूटी में नीचे इंजन और ट्रांसमिशन को कॉम्पैक्ट तरीके से फिट किया जा सकता है. इससे सीट के नीचे स्टोरेज स्पेस बढ़ जाता है. यही कारण है कि स्कूटी में आप हेलमेट, बैग या छोटी ग्रॉसरी का सामान आराम से रख सकते हैं, जबकि बाइक में ऐसी जगह नहीं मिलती है.

भारत में बहुत उपयोगी है यह फीचर

इसके अलावा, छोटे पहिए कम रोलिंग रेजिस्टेंस पैदा करते हैं. इसका मतलब है कि टायर को चलाने में कम पावर लगती है, जिससे फ्यूल की खपत घटती है. यानी, छोटे पहिए स्कूटी को न सिर्फ फुर्तीला बल्कि आर्थिक भी बनाते हैं. एक और अहम बात यह है कि स्कूटी में आगे और पीछे दोनों पहिए एक ही साइज के होते हैं. इससे मेंटेनेंस आसान हो जाता है और जरूरत पड़ने पर आप किसी भी पहिए को दूसरे से बदल सकते हैं. यह फीचर खास तौर पर भारत जैसे देशों में बहुत उपयोगी है, जहां रोजमर्रा के सफर में पंक्चर या खराबी आम बात होती है.

बड़े पहिए क्यों हैं बेहतर?

हालांकि, स्थिरता के मामले में बड़े पहिए बेहतर होते हैं. बाइक के बड़े पहिए ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ज्यादा ग्रिप और बैलेंस देते हैं, जबकि स्कूटी के छोटे टायर शहरी सड़कों पर लो-स्पीड राइडिंग के लिए ज्यादा उपयुक्त रहते हैं. यही कारण है कि स्कूटी शहर के लिए और बाइक लंबी दूरी के लिए बेहतर मानी जाती है. कुल मिलाकर, छोटे पहिए स्कूटी को स्मार्ट अर्बन राइड बनाते हैं. हल्की, तेज, ईंधन बचाने वाली और आसानी से चलने योग्य होती है. यह सिर्फ डिजाइन नहीं, बल्कि सोच-समझकर किया गया तकनीकी निर्णय है, जो स्कूटी को बाइक से बिल्कुल अलग बनाता है.

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